लोकसभा चुनाव 2019: नवादा में जातीय समीकरण जीत का आधार, गिरिराज सिंह ने उम्मीदवार नहीं बनने पर जताई नाराजगी

बिहार में नवादा लोकसभा सीट अबकी बार चर्चा में है. चर्चा की बड़ी वजह केंद्रीय मंत्री और इस सीट से मौजूदा सांसद गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) को यहां से टिकट न मिलना है. बहरहाल, इस सीट पर मुख्य मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और विपक्षी /07/01-71-185x104.jpg#in-medium#185#104" alt="Horoscope Today 27 November 2024: जानें कैसा होगा आज का दिन और किस राशि की चमकेगी किस्मत" title="Horoscope Today 27 November 2024: जानें कैसा होगा आज का दिन और किस राशि की चमकेगी किस्मत" /> Horoscope Today 27 November 2024: जानें कैसा होगा आज का दिन और किस राशि की चमकेगी किस्मत

Close
Search

लोकसभा चुनाव 2019: नवादा में जातीय समीकरण जीत का आधार, गिरिराज सिंह ने उम्मीदवार नहीं बनने पर जताई नाराजगी

बिहार में नवादा लोकसभा सीट अबकी बार चर्चा में है. चर्चा की बड़ी वजह केंद्रीय मंत्री और इस सीट से मौजूदा सांसद गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) को यहां से टिकट न मिलना है. बहरहाल, इस सीट पर मुख्य मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और विपक्षी महागठबंधन के बीच माना जा रहा है.

देश IANS|
लोकसभा चुनाव 2019: नवादा में जातीय समीकरण जीत का आधार, गिरिराज सिंह ने उम्मीदवार नहीं बनने पर जताई नाराजगी
गिरिराज सिंह (Photo Credit-ANI)

नवादा : बिहार में नवादा लोकसभा सीट अबकी बार चर्चा में है. चर्चा की बड़ी वजह केंद्रीय मंत्री और इस सीट से मौजूदा सांसद गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) को यहां से टिकट न मिलना है. बहरहाल, इस सीट पर मुख्य मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और विपक्षी महागठबंधन के बीच माना जा रहा है. नवादा सीट इस बार राजग के घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के हिस्से चली गई है. इसी कारण मौजूदा सांसद गिरिराज सिंह को भाजपा यहां से उम्मीदवार नहीं बना पाई. सिंह ने इसे लेकर काफी नाराजगी भी जताई थी.

लोजपा ने इस सीट से चंदन सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है, वहीं महागठबंधन की ओर से राजद ने विभा देवी पर दांव लगाया है. दरअसल यहां दो बाहुबलियों के बीच लड़ाई है. चंदन कुमार जहां बाहुबली सूरजभान सिंह के भाई हैं, वहीं विभा देवी विधायक राजबल्लभ यादव की पत्नी हैं. राजबल्लभ एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म के मामले में सजा काट रहे हैं.

यह भी पढ़ें: गिरिराज सिंह ने जिग्नेश मेवाणी पर साधा निशाना, गुजरात में प्रवासियों पर हुए हमले के लिए ठहराया जिम्मेदार

नवादा लोकसभा सीट के परिणाम यहां के जातीय समीकरण से तय होते रहे हैं. इसी कारण पार्टियां भी उम्मीदवार तय करने में जातीय समीकरण का पूरा ध्यान रखती हैं. पिछले 10 वर्षो से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है. यह क्षेत्र किसी समय में मगध साम्राज्य का हिस्सा था. पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में भूमिहार बहुल इस सीट से भाजपा के गिरिराज सिंह विजयी हुए थे. उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राजबल्लभ यादव को हराया था. गिरिराज सिंह को जहां 3,90,248 मत मिले थे, वहीं राजबल्लभ यादव को 2,50,091 मतों से संतोष करना पड़ा था. जद (यू) के कौशल यादव 1,68,217 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे.

इस बार नवादा संसदीय से कुल 13 प्रत्याशी मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला दोनों गठबंधनों के बीच है. नवादा की राजनीति को नजदीक से देखने वाले बीबीसी में स्तम्भकार वरिष्ठ पत्रकार व प्रोफेसर अशोक कुमार प्रियदर्शी का कहना है कि इस लोकसभा सीट के परिणाम हमेशा जातीय समीकरण के आधार पर तय होते रहे हैं.

उन्होंने आईएएनएस से कहा, "इस चुनाव में भी कमोबेश यही स्थिति होगी. यहां सबसे अधिक मतदाता भूमिहार जाति के हैं और उसके बाद यादवों की संख्या है. यादव और मुस्लिमों का एकमुश्त मत राजद उम्मीदवार को मिलना तय है, जबकि भूमिहार और वैश्य मतों की उम्मीद राजग लगाए बैठा है. ऐसे में पिछड़ा और अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं का महत्व बढ़ गया है. दोनों गठबंधनों में मुकाबला कड़ा है." नवादा लोकसभा सीट के तहत आने वाली हिसुआ, वारसलीगंज विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है, जबकि रजौली और नवादा प/a>

  • हरियाणा विधानसभा चुनाव
  • Close
    Search

    लोकसभा चुनाव 2019: नवादा में जातीय समीकरण जीत का आधार, गिरिराज सिंह ने उम्मीदवार नहीं बनने पर जताई नाराजगी

    बिहार में नवादा लोकसभा सीट अबकी बार चर्चा में है. चर्चा की बड़ी वजह केंद्रीय मंत्री और इस सीट से मौजूदा सांसद गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) को यहां से टिकट न मिलना है. बहरहाल, इस सीट पर मुख्य मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और विपक्षी महागठबंधन के बीच माना जा रहा है.

    देश IANS|
    लोकसभा चुनाव 2019: नवादा में जातीय समीकरण जीत का आधार, गिरिराज सिंह ने उम्मीदवार नहीं बनने पर जताई नाराजगी
    गिरिराज सिंह (Photo Credit-ANI)

    नवादा : बिहार में नवादा लोकसभा सीट अबकी बार चर्चा में है. चर्चा की बड़ी वजह केंद्रीय मंत्री और इस सीट से मौजूदा सांसद गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) को यहां से टिकट न मिलना है. बहरहाल, इस सीट पर मुख्य मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और विपक्षी महागठबंधन के बीच माना जा रहा है. नवादा सीट इस बार राजग के घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के हिस्से चली गई है. इसी कारण मौजूदा सांसद गिरिराज सिंह को भाजपा यहां से उम्मीदवार नहीं बना पाई. सिंह ने इसे लेकर काफी नाराजगी भी जताई थी.

    लोजपा ने इस सीट से चंदन सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है, वहीं महागठबंधन की ओर से राजद ने विभा देवी पर दांव लगाया है. दरअसल यहां दो बाहुबलियों के बीच लड़ाई है. चंदन कुमार जहां बाहुबली सूरजभान सिंह के भाई हैं, वहीं विभा देवी विधायक राजबल्लभ यादव की पत्नी हैं. राजबल्लभ एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म के मामले में सजा काट रहे हैं.

    यह भी पढ़ें: गिरिराज सिंह ने जिग्नेश मेवाणी पर साधा निशाना, गुजरात में प्रवासियों पर हुए हमले के लिए ठहराया जिम्मेदार

    नवादा लोकसभा सीट के परिणाम यहां के जातीय समीकरण से तय होते रहे हैं. इसी कारण पार्टियां भी उम्मीदवार तय करने में जातीय समीकरण का पूरा ध्यान रखती हैं. पिछले 10 वर्षो से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है. यह क्षेत्र किसी समय में मगध साम्राज्य का हिस्सा था. पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में भूमिहार बहुल इस सीट से भाजपा के गिरिराज सिंह विजयी हुए थे. उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राजबल्लभ यादव को हराया था. गिरिराज सिंह को जहां 3,90,248 मत मिले थे, वहीं राजबल्लभ यादव को 2,50,091 मतों से संतोष करना पड़ा था. जद (यू) के कौशल यादव 1,68,217 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे.

    इस बार नवादा संसदीय से कुल 13 प्रत्याशी मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला दोनों गठबंधनों के बीच है. नवादा की राजनीति को नजदीक से देखने वाले बीबीसी में स्तम्भकार वरिष्ठ पत्रकार व प्रोफेसर अशोक कुमार प्रियदर्शी का कहना है कि इस लोकसभा सीट के परिणाम हमेशा जातीय समीकरण के आधार पर तय होते रहे हैं.

    उन्होंने आईएएनएस से कहा, "इस चुनाव में भी कमोबेश यही स्थिति होगी. यहां सबसे अधिक मतदाता भूमिहार जाति के हैं और उसके बाद यादवों की संख्या है. यादव और मुस्लिमों का एकमुश्त मत राजद उम्मीदवार को मिलना तय है, जबकि भूमिहार और वैश्य मतों की उम्मीद राजग लगाए बैठा है. ऐसे में पिछड़ा और अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं का महत्व बढ़ गया है. दोनों गठबंधनों में मुकाबला कड़ा है." नवादा लोकसभा सीट के तहत आने वाली हिसुआ, वारसलीगंज विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है, जबकि रजौली और नवादा पर राजद और गोविंदपुर व बरबीघा विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है.

    दैनिक जागरण में लम्बे समय तक काम कर चुके नवादा के वरिष्ठ पत्रकार रमेश कुमार कहते हैं, "दोनों गठबंधनों के बीच मुकाबला फिलहाल बराबरी का है. भूमिहार और यादव का मत परिणाम को दिशा देने वाले तो है ही, पिछड़ों और अति पिछड़ों के मिश्रित वोट को जो गठबंधन अपनी ओर करने में सफल हुआ, परिणाम उसके पक्ष में होगा." लेकिन नवादा के लोग क्षेत्र की समस्याओं को लेकर भी जागरूक नजर आ रहे हैं. गोविंदपुर के हेमंत कुमार कहते हैं, "आज भी यहां किसानों के खेतों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई है."

    वह कहते हैं, "अपर सकरी जलाशय योजना को लेकर प्रत्येक चुनाव में मतदाताओं को दिवास्वप्न दिखाए जाते हैं, लेकिन अब तक यह योजना वास्तविकता के धरातल पर नहीं उतर सकी है. इस योजना से न केवल नवादा को, बल्कि लखीसराय, जमुई, शेखपुरा सहित अन्य जिलों को भी लाभ मिलता." बहरहाल, दोनों गठबंधनों के उम्मीदवार मतदाताओं को रिझाने में जुटे हुए हैं. लेकिन, मतदाता किसका साथ देगा यह भविष्य की गर्त में है. बिहार में लोकसभा के सभी सात चरणों में मतदान होना है. नवादा में पहले चरण के तहत 11 अप्रैल को मतदान होगा.

    गिरिराज सिंह ने जिग्नेश मेवाणी पर साधा निशाना, गुजरात में प्रवासियों पर हुए हमले के लिए ठहराया जिम्मेदार

    नवादा लोकसभा सीट के परिणाम यहां के जातीय समीकरण से तय होते रहे हैं. इसी कारण पार्टियां भी उम्मीदवार तय करने में जातीय समीकरण का पूरा ध्यान रखती हैं. पिछले 10 वर्षो से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है. यह क्षेत्र किसी समय में मगध साम्राज्य का हिस्सा था. पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में भूमिहार बहुल इस सीट से भाजपा के गिरिराज सिंह विजयी हुए थे. उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राजबल्लभ यादव को हराया था. गिरिराज सिंह को जहां 3,90,248 मत मिले थे, वहीं राजबल्लभ यादव को 2,50,091 मतों से संतोष करना पड़ा था. जद (यू) के कौशल यादव 1,68,217 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे.

    इस बार नवादा संसदीय से कुल 13 प्रत्याशी मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला दोनों गठबंधनों के बीच है. नवादा की राजनीति को नजदीक से देखने वाले बीबीसी में स्तम्भकार वरिष्ठ पत्रकार व प्रोफेसर अशोक कुमार प्रियदर्शी का कहना है कि इस लोकसभा सीट के परिणाम हमेशा जातीय समीकरण के आधार पर तय होते रहे हैं.

    उन्होंने आईएएनएस से कहा, "इस चुनाव में भी कमोबेश यही स्थिति होगी. यहां सबसे अधिक मतदाता भूमिहार जाति के हैं और उसके बाद यादवों की संख्या है. यादव और मुस्लिमों का एकमुश्त मत राजद उम्मीदवार को मिलना तय है, जबकि भूमिहार और वैश्य मतों की उम्मीद राजग लगाए बैठा है. ऐसे में पिछड़ा और अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं का महत्व बढ़ गया है. दोनों गठबंधनों में मुकाबला कड़ा है." नवादा लोकसभा सीट के तहत आने वाली हिसुआ, वारसलीगंज विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है, जबकि रजौली और नवादा पर राजद और गोविंदपुर व बरबीघा विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है.

    दैनिक जागरण में लम्बे समय तक काम कर चुके नवादा के वरिष्ठ पत्रकार रमेश कुमार कहते हैं, "दोनों गठबंधनों के बीच मुकाबला फिलहाल बराबरी का है. भूमिहार और यादव का मत परिणाम को दिशा देने वाले तो है ही, पिछड़ों और अति पिछड़ों के मिश्रित वोट को जो गठबंधन अपनी ओर करने में सफल हुआ, परिणाम उसके पक्ष में होगा." लेकिन नवादा के लोग क्षेत्र की समस्याओं को लेकर भी जागरूक नजर आ रहे हैं. गोविंदपुर के हेमंत कुमार कहते हैं, "आज भी यहां किसानों के खेतों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई है."

    वह कहते हैं, "अपर सकरी जलाशय योजना को लेकर प्रत्येक चुनाव में मतदाताओं को दिवास्वप्न दिखाए जाते हैं, लेकिन अब तक यह योजना वास्तविकता के धरातल पर नहीं उतर सकी है. इस योजना से न केवल नवादा को, बल्कि लखीसराय, जमुई, शेखपुरा सहित अन्य जिलों को भी लाभ मिलता." बहरहाल, दोनों गठबंधनों के उम्मीदवार मतदाताओं को रिझाने में जुटे हुए हैं. लेकिन, मतदाता किसका साथ देगा यह भविष्य की गर्त में है. बिहार में लोकसभा के सभी सात चरणों में मतदान होना है. नवादा में पहले चरण के तहत 11 अप्रैल को मतदान होगा.

    IPL Auction 2025 Live
    IPL Auction 2025 Live
    शहर पेट्रोल डीज़ल
    New Delhi 96.72 89.62
    Kolkata 106.03 92.76
    Mumbai 106.31 94.27
    Chennai 102.74 94.33
    View all
    Currency Price Change
    Google News Telegram Bot