अयोध्या केस: फैसले से पहले UP के अंबेडकर नगर के कॉलेजों में बनाई गई 8 अस्थाई जेल

अयोध्या मामले (Ayodhya Case) के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर आने वाले फैसले से पहले उत्तर प्रदेश (UP) की सरकार सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करना शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में अंबेडकर नगर (Ambedkar Nagar) के अलग-अलग कॉलेजों में 8 अस्थाई जेल (Temporary Jails) बनाई गई है. यदि फैसले के बाद कोई अराजकतत्व हिमाकत करता है तो उन्हें जेल में रखा जाएगा. इसके साथ ही सवेंदनशील जगहों पर पुलिस के जवानों को तैनात कर दिया गया है. सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील 34 जिलों के पुलिस प्रमुखों को भी निर्देश जारी कर दिए हैं

अयोध्या राम मंदिर (Photo Credits: Twitter)

अयोध्या मामले (Ayodhya Case) के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर आने वाले फैसले से पहले उत्तर प्रदेश (UP) की सरकार सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करना शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में अंबेडकर नगर (Ambedkar Nagar) के अलग-अलग कॉलेजों में 8 अस्थाई जेल (Temporary Jails) बनाई गई है. यदि फैसले के बाद कोई अराजकतत्व हिमाकत करता है तो उन्हें जेल में रखा जाएगा. इसके साथ ही सवेंदनशील जगहों पर पुलिस के जवानों को तैनात कर दिया गया है. सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील 34 जिलों के पुलिस प्रमुखों को भी निर्देश जारी कर दिए हैं. इन जिलों में मेरठ, आगरा, अलीगढ़, रामपुर, बरेली, फिरोजाबाद, कानपुर, लखनऊ, शाहजहांपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर और आजमगढ़ आदि हैं.

इससे पहले सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने अपने मंत्रियों से राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में 17 नंवबर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले कोई भी विवादित बयान देने से बचने के लिए कहा है। राज्य के एक मंत्री ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा, "मुख्यमंत्री ने हमें इस मुद्दे पर अनावश्यक टिप्पणी करने से बचने के लिए कहा है. आदित्यनाथ ने कथित तौर पर कहा कि किसी भी मंत्री को कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, भले ही फैसला किसी के पक्ष में आए.

ज्ञात हो कि अयोध्या भूमि विवाद विवाद मामले में सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच सुनवाई कर रही है. सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ में न्यायमूर्ति एस. के. बोबडे, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस. ए. नजीर शामिल हैं.

गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा साल 2010 में सुनाए गए फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 14 याचिकाएं दायर की गई हैं. दरअसल, हाई कोर्ट ने अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को तीन हिस्सों में सुन्नी वक्फ बोर्ड, राम लला और निर्मोही अखाड़े के बीच बांटने का आदेश दिया था, लेकिन अभी तक इस मामले का निपटारा नहीं हो पाया था.

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