गुवाहाटी, 11 दिसंबर : असम (Assam) में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) को लेकर एक महत्वपूर्ण रहस्योद्घाटन हुआ है. असम के राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में 2.77 लाख गलत नाम दर्ज होने की संभावना जताई गई है. असम के एनआरसी समन्वयक (को-ऑर्डिनेटर) हितेश देव सरमा ने कहा है कि गुवाहाटी हाईकोर्ट ने बताया है कि असम एनआरसी में 31 अगस्त को जारी सूची में 2.77 लाख 'अवांछित' नाम हो सकते हैं. अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी.
हितेश सरमा (Hitesh Sharma) ने गुवाहाटी हाईकोर्ट (Guwahati High Court) को लिखे हलफनामे में बताया है कि पिछले साल 31 अगस्त को आई राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की सूची अंतिम नहीं है, बल्कि वह अनुपूरक सूची है. सरमा ने गुवाहाटी हाईकोर्ट से कहा कि भारत के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से एनआरसी की अंतिम सूची को प्रकाशित किया जाना अभी बाकी है.
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हलफनामे में कहा गया है, "इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि 1,02,462 नाम ड्राफ्ट एनआरसी के 27 प्रतिशत नामों के वेरीफिकेशन से ही हटाए गए हैं, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि शेष 73 प्रतिशत असत्यापित परिणामों में इसी अंकगणित के हिसाब से 2.77 लाख अवांछित नाम हो सकते हैं." 18 पन्नों के इस हलफनामे में कहा गया है कि घोषित विदेशी (BF), डाउटफुल वोटर (DV) और विदेशी ट्रिब्यूनल (PFT) से संबंधित 1,032 व्यक्ति जैसी श्रेणियों में लंबित मामले और उनके वंशजों को एनआरसी में गलत तरीके से शामिल किया गया है.
एनआरसी के को-ऑर्डिनेटर ने हलफनामे में आगे कहा है कि देश के मूल निवासियों के इस गलत नतीजे के पीछे रजिस्टर बनाते वक्त नाम दर्ज करने में गुणवत्ता की कमी के साथ ही दोबारा सही तरीके से मिलान न करना प्रमुख वजह है.आईएएस अधिकारी सरमा ने हलफनामे में स्पष्ट रूप से कहा कि असम के लिए अपडेटिड एनआरसी में लगभग 4,800 अयोग्य व्यक्तियों को शामिल किया गया है. यह हलफनामा एक खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिसमें न्यायमूर्ति मनोजीत भुइयां और न्यायमूर्ति सौमित्र सैकिया शामिल थे.
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हाईकोर्ट(High Court) में दायर किए गए हलफनामे में बताया गया है कि पिछले साल अगस्त में 10,199 नामों की फिर से जांच की गई थी, जिसमें 4795 लोगों को शामिल किया गया था, जबकि 5,404 लोगों की एंट्री नहीं की गई.
सरमा ने अपने हलफनामे में कहा कि प्रकाशित एनआरसी में उनके द्वारा खोजी गई सभी विसंगतियों को 15 फरवरी को रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (आरजीआई) को सूचित कर दिया गया था और एनआरसी सूची में हुई गडबड़ी के बारे में जानकारी दे दी गई थी. अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एनआरसी के राज्य समन्वयक को एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा गया था.