अमरावती: आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी (YS Jagan Mohan Reddy) ने सोमवार को आरोप लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू (N Chandrababu Naidu) 371 करोड़ रुपये के कौशल विकास घोटाले के सरगना (Kingpin) थे, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चार लोगों को गिरफ्तार किया था. जगन मोहन रेड्डी ने विधानसभा (Assembly) को बताया कि घोटाले की पूरी राशि मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) चैनलों के माध्यम से शेल कंपनियों के माध्यम से टीडीपी (TDP) अध्यक्ष और उनके लोगों तक पहुंची.
कौशल विकास घोटाले पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए, सीएम ने विस्तार से बताया कि कैसे नायडू ने कैबिनेट बैठक में अनुमानों के एक अनधिकृत निजी नोट को मंजूरी देकर सरकारी आदेश (जीओ) जारी करने और फिर 371 करोड़ रुपये के सार्वजनिक धन की लूट के लिए अनधिकृत व्यक्तियों के साथ एक पूरी तरह से अलग समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करके घोटाले को अंजाम दिया. उन्होंने इसे देश का सबसे बड़ा घोटाला करार दिया. Mumbai: बागेश्वर धाम बाबा के आध्यात्मिक कार्यक्रम में चोरों ने महिलाओं को बनाया निशाना, 4.90 लाख रुपये की सोने की चेन चोरी
उन्होंने कहा कि छात्रों को कौशल प्रदान करने के नाम पर पिछली टीडीपी सरकार ने राज्य को बड़े पैमाने पर लूटा. यह प्रदेश के इतिहास का ही नहीं बल्कि देश का सबसे बड़ा घोटाला है. चंद्रबाबू नायडू लोगों को घोटाला करने में माहिर हैं. शेल कंपनियों के जरिए 71 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई और दुर्भाग्य से छात्रों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है.
चंद्रबाबू नायडू एक मुख्यमंत्री के रूप में अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने के दोषी हैं. उनके मंत्रिमंडल ने कहा कुछ और लेकिन हकीकत में कुछ और ही किया. यह घोटाला आंध्र प्रदेश (एपी) में शुरू हुआ और विदेशों में फैल गया. इसके बाद पैसा विदेशों से शेल कंपनियों के जरिए राज्य में वापस आया. चंद्रबाबू जैसा अपराधी ही इस घोटाले का मास्टरमाइंड हो सकता है.
चंद्रबाबू ने घोटाले को इतनी चालाकी से लिखा और निर्देशित किया कि सरकारी आदेश प्रावधान और एमओयू की शर्तें पूरी तरह से अलग थीं. जबकि कैबिनेट ने निजी नोट को मंजूरी दी और संबंधित सरकारी आदेश में राज्य में युवाओं के कौशल विकास के लिए प्रस्तावित कुल परियोजना लागत 3356 करोड़ रुपये का 90 प्रतिशत अनुदान के रूप में सीमेंस से आने की बात कही- एमओयू में सहायता अनुदान का कोई उल्लेख नहीं था.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सहायता अनुदान सीमेंस से कभी नहीं आया, लेकिन तेदेपा सरकार ने तीन महीने की छोटी अवधि में पांच किश्तों में 371 करोड़ रुपये (जिसमें कर शामिल हैं) के बराबर परियोजना लागत का 10 प्रतिशत भुगतान किया. यह एक घोटाला था जिसे कुशल अपराधी चंद्रबाबू नायडू ने कुशलता से लिखा, निर्देशित और निष्पादित किया.
जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि तेदेपा शासन के दौरान भी घोटाला सामने आया था क्योंकि अपेक्षित करों का भुगतान कभी नहीं किया गया था, लेकिन सीआईडी जांच कभी आगे नहीं बढ़ी क्योंकि इसे नायडू द्वारा रोक दिया गया था.
उन्होंने कहा कि टीडीपी सरकार द्वारा इन नोट फाइलों को नष्ट करने का भी प्रयास किया गया था, लेकिन अब उन्हें अन्य विभागों की शैडो फाइलों के उपयोग से निकाला गया है. सीमेंस कंपनी ने भी आधिकारिक तौर पर अदालत को बताया कि उसने कभी भी कौशल विकास प्रशिक्षण योजनाओं को लागू नहीं किया और इसका सरकार द्वारा हस्ताक्षरित जीओ या एमओयू से कोई लेना-देना नहीं था.
सीमेंस ने अपने हलफनामे में अदालत को यह भी बताया कि जिन गिरफ्तार कंपनी के अधिकारियों के साथ टीडीपी सरकार ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे, उन्होंने इसे कभी भी उच्च प्रबंधन के संज्ञान में नहीं लाया और उन्होंने अपनी निजी हैसियत से एमओयू पर हस्ताक्षर किए. चंद्रबाबू और उनके लोगों ने सीमेंस के पूर्व अधिकारियों (अब गिरफ्तार और न्यायिक हिरासत में) के साथ जनता के पैसे लूटने की साजिश रची थी.