येलो अलर्ट के बीच, दिल्ली मेट्रो यात्रियों की संख्या पर अंकुश के लिए कर रहा संघर्ष
मेट्रो (Photo Credits: Wikimedia Commons)

नई दिल्ली, 31 दिसंबर : राजधानी में येलो अलर्ट घोषित किए जाने के दो दिन बाद भी दिल्ली मेट्रो यह तय नहीं कर पा रहा है कि कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर दिल्ली सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को अभी लागू करे या बाद में. इस समय प्रतिदिन 50 प्रतिशत से अधिक यात्री सार्वजनिक परिवहन में चढ़ना जारी रखे हुए हैं. डीएमआरसी के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "ज्यादातर लोग अभी भी प्रतिबंधों के बारे में नहीं जानते हैं और मेट्रो में चढ़ना जारी रखे हुए हैं. दो-तीन दिनों के भीतर स्थिति नियंत्रण में आ जाएगी."

यात्रियों ने आईएएनएस से कहा कि इसका कारण कार्यालयों में उपस्थिति अनिवार्य होना है. एक अन्य यात्री ने कहा, "दिल्ली परिवहन निगम की बसें भी केवल 50 प्रतिशत यात्रियों के साथ चल रही हैं, हमारे पास कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है." इस बीच, कुछ यात्रियों ने कहा कि वे नए साल से पहले आने-जाने और अपने काम पर जाने और सामाजिक मेलजोल के दौरान हर संभव सावधानी बरत रहे हैं. दिल्ली सरकार ने 28 दिसंबर को येलो अलर्ट के तहत प्रतिबंधों की घोषणा की थी, जिसके तहत दिल्ली मेट्रो को केवल 50 प्रतिशत बैठने की क्षमता के साथ चलना चाहिए और यात्रियों को खड़े होकर यात्रा करने की अनुमति नहीं है. यह निर्णय शहर में कोविड-19 से संक्रमण की दर लगातार दो दिनों तक 0.5 प्रतिशत से ऊपर रहने के बाद लिया गया है. यह भी पढ़ें : नववर्ष की पूर्व संध्या के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम : दिल्ली पुलिस

हालांकि, शहर भर के विभिन्न मेट्रो स्टेशनों के बाहर लंबी कतारें देखी गईं, क्योंकि लोग अपने दैनिक जीवन में हमेशा की तरह चलते रहे. इस पर अंकुश लगाने के लिए दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) ने गुरुवार को प्रति ट्रेन यात्रियों की संख्या 200 घटाने की घोषणा की. आम तौर पर एक ट्रेन में 2,400 तक यात्री सवार होते हैं. आठ डिब्बों वाली मेट्रो ट्रेन में आम तौर पर लगभग 2,400 यात्री सवार हो सकते हैं, जिसमें प्रति कोच लगभग 50 बैठने वाले यात्री रहते हैं और 250 यात्री खड़े रहते हैं. डीएमआरसी ने एक विज्ञप्ति में कहा कि 50 प्रतिशत बैठने और खड़े नहीं होने के मौजूदा प्रतिबंधों के साथ, प्रत्येक कोच अब केवल 25 यात्रियों को समायोजित कर सकता है.