पुलवामा में सीआरपीएफ पर हमले 40 से ज्यादा जवानों की शहादत के बाद पूरे देश में आक्रोश है. इस हमले को लेकर शुक्रवार को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति में फैसला लिया गया है कि पाकिस्तान से 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' (MFN) का दर्ज छीन लिया जाएगा. इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की भी रणनीति कूटनीति अपनाई जाएगी. भारत के इस फैसले के बाद व्यापारिक लिहाज से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचना तय है. पाकिस्तान भारत के इस रणनीतिक कदम के बाद बौखलाया हुआ नजर आ रहा है. एमएफएन का दर्जा मिल जाने पर दर्जाप्राप्त देश को इस बात का आश्वासन रहता है कि उसे कारोबार में नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पाकिस्तान भी भारत के खिलाफ एकतरफा कदम उठा सकता है. पाकिस्तान दक्षिण एशिया तरजीही व्यापार समझौते (SAPTA) के तहत भारत को दी गई रियायतें रद्द कर सकता है और जेनेवा स्थित विश्व व्यापार संगठन में इस मुद्दे को उठा सकता है. गौरतलब है कि पाकिस्तान ने 1,209 आइटम्स के भारत से आयात पर पहले ही रोक लगा रखी है. अटारी-वाघा रूट के जरिए सिर्फ 138 चीजें ही भारत से पाक तक जाती हैं. इसमें मुख्य तौर पर भारत पाकिस्तान को कॉटन, डाई, केमिकल्स, सब्जियां, लोहा और इस्पात का आयात करता है. यह भी पढ़ें- पुलवामा आतंकी हमला: आतंक के खिलाफ देश एकजुट, सर्वदलीय बैठक में लिया गया साथ लड़ने का दृढ़ संकल्प
बता दें कि मोस्ट फेवर्ड नेशन (MNF) एक आर्थिक दर्जा है, जिसमें दो देशों के बीच होने वाले 'मुक्त व्यापार समझौते' के तहत दिए जाने का प्रावधान है. जो भी देश किन्हीं देशों को यह दर्जा देता है, उस देश को उन सभी के साथ व्यापार की शर्तें एक जैसी रखनी होती हैं. जिन राष्ट्रों को एमएफएन का दर्जा दिया जाता है, उन्हें व्यापार में अन्य देशों की तुलना में कम शुल्क, ज्यादा व्यापारिक सहूलियतें और उच्चतम आयात कोटा की सुविधा दी जाती हैं. भारत ने पाकिस्तान को 1996 में एमएफएन का दर्जा दिया था, लेकिन पाकिस्तान की ओर से भारत को ऐसा कोई दर्जा नहीं दिया गया था.