सोल, 19 मई : कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (Sexual Harrasment) की शिकायत करने वाले 10 में से 8 लोगों ने कहा कि उन्हें किसी न किसी रूप में विरोध का सामना करना पड़ा है. योनहाप समाचार एजेंसी ने बताया कि कार्यस्थल पर दुर्व्यवहार के खिलाफ अभियान चलाने वाली 'गैपजिल 119' ने जनवरी 2021 और मार्च 2022 के बीच दुर्व्यवहार पीड़ितों से प्राप्त 205 रिपोर्ट्स का विश्लेषण किया. लगभग 100 रिपोर्ट उन लोगों की थीं जिन्होंने यौन उत्पीड़न के बारे में अपने कर्मचारी या अन्य संस्थानों में शिकायत दर्ज कराई थी. इनमें से लगभग 90 प्रतिशत ने कहा कि यौन उत्पीड़न के बारे में बोलने के बाद उन्हें उचित सुरक्षा नहीं मिली, और 83 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने विरोध का सामना करना पड़ा. सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 64 प्रतिशत पीड़ितों को उनके सुपरवाइजर ने उत्पीड़न किया. जबकि 30 प्रतिशत मामलों में उनके कर्मचारी शामिल थे.
स्टडी से पता चला है कि 79 प्रतिशत यौन उत्पीड़न पीड़ितों को कार्यस्थल पर भी धमकाया गया था. मौखिक यौन उत्पीड़न सबसे ज्यादा देखा गया. 76.1 प्रतिशत पीड़ितों ने इस उत्पीड़न को झेला है. इसके बाद 43.4 प्रतिशत पीड़ितों ने शारीरिक यौन उत्पीड़न का सामना किया जबकि 6.3 प्रतिशत पीड़ित बुरी नजर का शिकार हुए. गैपजिल 119 ने भर्ती, वेतन और पदोन्नति में भी लिंग भेदभाव होने की बात कही. रोजगार में लैंगिक भेदभाव के बारे में श्रम मंत्रालय के पास जनवरी 2021 और मार्च 2022 के बीच कुल 542 शिकायतें दर्ज की गईं. यह भी पढ़ें : Karnataka: कर्नाटक में बारिश का कहर, मरने वालों की संख्या बढ़कर हुई 4
कार्यस्थल पर लिंग भेदभाव और यौन उत्पीड़न के खिलाफ एक संशोधित कानून गुरुवार को प्रभावी हुआ. संशोधन के तहत कर्मचारी इन घटनाओं की रिपोर्ट क्षेत्रीय श्रम संबंध आयोग को दे सकते हैं. वहीं सरकारी एजेंसी विचार-विमर्श के बाद सुधारात्मक उपायों का आदेश दे सकती है. जो कर्मचारी उचित कारणों के बिना अनुपालन करने में विफल रहते हैं, उन पर 100 मिलियन तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.