मध्य प्रदेश में सहकारी बैंक में गड़बड़ी पर 7 अधिकारी निलंबित
मध्य प्रदेश के सहकारी बैंक में हुई गड़बड़ी के मामले में सात अधिकारियों कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया हैं, वहीं एक संविदा लिपिक की सेवाएं समाप्त कर दी गई है. राज्य के सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया ने कहा कि सहकारी बैंक में अनियमितता, गबन, घोटाला में लिप्त अधिकारी और कर्मचारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई होगी. भ्रष्टाचार के प्रकरण में किसी को बख्शा नहीं जाएगा.
भोपाल, 17 नवंबर: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सहकारी बैंक में हुई गड़बड़ी के मामले में सात अधिकारियों कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया हैं, वहीं एक संविदा लिपिक की सेवाएं समाप्त कर दी गई है. राज्य के सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया ने कहा कि सहकारी बैंक में अनियमितता, गबन, घोटाला में लिप्त अधिकारी और कर्मचारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई होगी. भ्रष्टाचार के प्रकरण में किसी को बख्शा नहीं जाएगा. हड़ताल के चलते महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (MSRTC) के 2053 कर्मचारी सस्पेंड
उन्होंने कहा कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक ग्वालियर की पिछोर शाखा में बैंक राशि की हेरा-फेरी करने में लिप्त पाए गए अधिकारी-कर्मचारियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है. बताया गया है कि ऑडिट टीम की जाँच में सहकारी बैंक शाखा पिछोर में पदस्थ रहे तत्कालीन चार लिपिक, दो शाखा प्रबंधक और जिला सहकारी केंद्रीय बैंक, ग्वालियर के तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी दोषी पाए गए. जाँच में दोषी पाए जाने पर संविदा पर पदस्थ लिपिक जसवंत कुशवंशी की सेवाएँ समाप्त की गई.
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक ग्वालियर के तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी आर.बी.एस. ठाकुर के विरुद्ध एफआईआर कराने की कार्रवाई की जा रही है. शाखा प्रबंधक अरविंद सिंह तोमर, पी.के. श्रीवास्तव, लिपिक कुमारी शिखा गुप्ता, कुमारी लवली नाडिया, श्री प्रशांत रामपुरिया, राघवेन्द्र पाल और भृत्य देवेन्द्र शर्मा को निलंबित किया गया है.
बताया गया है कि जिन सभी अधिकारी-कर्मचारी पर कार्रवाई की गई है वे सहकारिता आयुक्त द्वारा गठित विशेष ऑडिट टीम की जाँच में प्रथम दृष्ट्या बैंक राशि में हेरा-फेरी और गबन करने के दोषी पाए गए हैं.ज्ञातव्य है कि पिछोर शाखा की पूर्व में हुई जाँच में कुछ को दोषी पाया गया और उनके विरुद्ध कार्रवाई की गई थी. इसके बाद प्राप्त शिकायत के आधार पर सहकारिता आयुक्त के द्वारा आडिट के लिए विशेष टीम गठित कर फिर से आडिट करवाया गया.