PM-EAC Survey Report: '1950-2015 के बीच हिंदू आबादी में 7.82% की गिरावट और मुस्लिम आबादी में 43.15% की वृद्धि', पीएम की आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट का दावा
प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद ने 167 देशों में धार्मिक आधार पर लोगों की आबादी को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. इस सर्वे में बताया गया है कि भारत में 1950 से 2015 के बीच हिंदू आबादी 7.82% घटी है.
PM-EAC Survey Report: प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद ने 167 देशों में धार्मिक आधार पर लोगों की आबादी को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. इस सर्वे में बताया गया है कि भारत में 1950 से 2015 के बीच हिंदू आबादी 7.82% घटी है. इस दौरान अल्पसंख्यकों जैसे- मुस्लिम, ईसाई, सिख और बौद्धों की आबादी बढ़ी है. पड़ोसी देश हिंदू बहुल नेपाल में भी हिंदुओं की आबादी में कमी देखने को मिला है. इसके अलावा म्यांमार में भी बहुसंख्यक बौद्धों की आबादी में गिरावट आई है.
सर्वे में दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद ने दुनिया के 167 देशों में 1950 से 2015 के बीच आए जनसांख्यिकी बदलाव का अध्ययन किया है. इन देशों में बहुसंख्यक उन्हें माना गया है, जिनकी आबादी 75 फीसद से अधिक है.
भारत में आजादी के बाद तेजी से घटी हिंदू आबादी: सर्वे
पारसी और जैन अल्पसंख्यक आबादी में भी आई गिरावट
- भारत में बहुसंख्यक हिंदू आबादी का हिस्सा 1950 और 2015 के बीच 84.68% से 78.06% कम हो गया है.
- भारत में मुस्लिम आबादी की हिस्सेदारी में 43.15% की वृद्धि हुई है. 1950 में मुस्लिम आबादी की हिस्सेदारी 9.84% थी. 2015 में यह बढ़कर 14.09% हो गई है.
- ईसाई आबादी का हिस्सा 2.24% से बढ़कर 2.36% हो गया है. 1950 और 2015 के बीच 5.38% की वृद्धि हुई है.
- सिख आबादी का हिस्सा 1950 में 1.24% से बढ़कर 2015 में 1.85% हो गया. सिख आबादी के हिस्से में 6.58% की वृद्धि हुई है.
- बौद्ध आबादी की हिस्सेदारी में 1950 में 0.05% थी, जो अब बढ़कर 0.81% हो गई है.
- जैनियों की हिस्सेदारी 1950 में 0.45% से घटकर 2015 में 0.36% हो गई है.
- पारसी आबादी की हिस्सेदारी में 85% की भारी गिरावट आई है. यह 1950 में 0.03% से घटकर 0.004% हो गई है.
रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के अधिकांश मुस्लिम बहुसंख्यक देश में मुस्लिम आबादी में बढ़ोतरी हुई है. वहीं हिंदू, ईसाई व अन्य धर्म बहुल देशों में बहुसंख्यक आबादी में कमी आई है. रिपोर्ट जारी करने का उद्देश्य यह बताया गया कि यह किसी देश की जनसांख्यिकी परिवर्तन का वहां की लोकतांत्रिक प्रक्रिया और शासन प्रणाली पर पड़ने वाले असर का आकलन है.