साल 2018 के ऐसे 5 विवादित बयान, जिसने देश की राजनीति में मचाई हलचल
साल 2018 में भी देश के बड़े नेताओं ने अपने विवादित बयानबाजी से सुर्खियां बटोरीं
भारतीय राजनीति (Indian Politics) में विवादास्पद बयानबाजी (Controversial Statements) एक कड़वा सच है. साल 2018 में भी देश के बड़े नेताओं ने अपने विवादित बयानबाजी से सुर्खियां बटोरीं. इनमें देश के सत्ताधारी पार्टी से लेकर विपक्षी पार्टी के भी सांसद शामिल हैं. साथ ही कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हैं. इस रिपोर्ट में ऐसे ही पांच विवादित बयानों का जिक्र किया गया है.
1. जामा मस्जिद को तोड़ो, मूर्तियां न मिले तो मुझे फांसी पर लटका देना- साक्षी महाराज
बीजेपी के सांसद साक्षी महराज ने कहा था कि मैं जब राजनीति में आया था तो मेरा पहला बयान था मथुरा में कि अयोध्या, काशी, मथुरा को छोड़ो. दिल्ली की जामा मस्जिद तोड़ो, अगर सीढ़ियों में मूर्तियां न मिले तो मुझे फांसी पर लटका देना और इस बयान पर मैं आज भी कायम हूं.
2. महाभारत युग में मौजूद था इंटरनेट- बिप्लब कुमार देब
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने भी कई सारे विवादित बयान दिए. उनके इन बयानों की काफी आलोचना भी हुई. बिप्लब ने कहा था कि इंटरनेट और उपग्रह संचार महाभारत युग में मौजूद था. इसके साथ ही बिप्लब ने यह भी कहा था कि शिक्षित युवाओं को सरकारी नौकरियों के लिए राजनीतिक दलों के चक्कर काटने के बदले पान की दुकान खोलने चाहिए. उन्होंने युवाओं को डेयरी में करियर बनाने और गाय पालने के लिए भी कहा था.
3. पार्टनर के साथ अनबन के बाद महिलाएं रेप का रोना रोती हैं- मनोहर लाल खट्टर
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राज्य में बढ़ते रेप केस पर कहा था कि रेप और छेड़छाड़ की 80 से 90 फीसदी घटनाएं जानकारों के बीच होती हैं. लंबे समय तक एक साथ घूमते हैं और एक दिन अनबन हो जाती है तो उस दिन उठकर के एफआईआर करवा देते हैं कि इसने मेरा रेप किया.
4. पीएम मोदी शिवलिंग पर बैठे बिच्छू जैसे- शशि थरूर
कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर विवादित बयान दिया था. थरूर ने कहा था कि मोदी शिवलिंग पर बैठे बिच्छू की तरह है, जिसे आप ना तो अपने हाथों से और ना ही चप्पल मारकर हटा सकते हैं.
5. हनुमान दलित थे- योगी आदित्यनाथ
राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान नवंबर में अलवर में एक रैली में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि बजरंगबली एक ऐसे लोक देवता हैं जो स्वयं वनवासी हैं, गिर वासी हैं, दलित हैं और वंचित हैं.