राम का किरदार निभाकर करोड़ों दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले अरुण गोविल ने कहा- रामायण हमें रिश्ते निभाना सिखाती है
अरुण गोविल (Photo Credits: Facebook)

कोराना (Corona) संकट से बचाव के लिए देश में चल रहे लॉकडाउन (Lockdown) के कारण लोग घरों में कैद हैं. इस दौरान देश की जनता को अध्यात्म को आत्मसात करने के लिए और नई पीढ़ी को इस अदभुत कहानी से परिचित कराने के लिए 80 के दशक के मशहूर टीवी धारावाहिक 'रामायण' (Ramayana) का एक बार फिर से प्रसारण हो रहा है. छोटे पर्दे पर साल 1987 में रामानंद सागर की रामायण में राम का किरदार निभाकर करोड़ों दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले अरुण गोविल धारावाहिक के दोबारा प्रसारण को लेकर काफी उत्साहित हैं.

एक सवाल के जवाब में वे कहते हैं कि दर्शकों ने जो प्यार दिया है, वह उनके जीवन का सबसे बड़ा अवार्ड है. गोविल का कहना है, "रामायण रिश्ते निभाना सीखाती है." आईएएनएस से एक विशेष वार्ता में अरूण गोविल बताते हैं कि इस बार के प्रसारण में रेस्पांस पहले से ज्यादा अच्छा है. काफी नए लोग जुड़े हैं. उस समय जो लोग छोटे थे वे भी जुड़ गये हैं. यद्यपि समय का चक्र काफी आगे बढ़ गया है, फिर भी लोगों को यह फ्रेश लगा. लोगों की प्रतिक्रया बहुत अच्छा रही.

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लोकप्रियता के बावजूद अब तक सियासत में न जाने के बारे में पूछने पर अरूण गोविल ने कहा कि राजनीति में मुझे लंबे समय से ऑफर आ रहे हैं पर उस क्षेत्र में जाने की मेरी कभी इच्छा नहीं हुई. हालांकि देश के दोनों बड़े दल भाजपा और कांग्रेस से मुझे कई बार बुलाया है.

यह पूछने पर कि आप यूपी से हैं, जो देश की राजनीति का गढ़ माना जाता है, फिर भी सियासत ने आपको आकर्षित नहीं किया. इस पर उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा कभी महसूस नहीं हुआ. वैसे ये अपने-अपने एटीट्यूड की बात है कि आपकी प्राथमिकताएं क्या हैं? आजकल राजनीति भी एक प्रोफेशन की तरह है और मैं जिस प्रोफेशन में हूं, मैं उससे संतुष्ट हूं.

रामायण के बाद आप ज्यादा फिल्मों में नहीं दिखे? इस सवाल के जवाब में अरूण गोविल ने कहा कि रामायण की इमेज बहुत मजबूत थी. उसका बहुत फर्क पड़ा. इस वजह से ज्यादा फिल्में नहीं कीं. दर्शकों की प्रतिक्रिया भी इसके पीछे एक कारण रहा. रामायण या अन्य किसी धार्मिक विषय पर वेब सीरीज में अभिनय के मुद्दे पर कहा कि यदि कोई ऐसी स्क्रिप्ट हो, जिससे लगे कि इसमें काम करना चाहिए तो कर सकते हैं.

नई पीढ़ी सोशल मीडिया पर एक्टिव है. रामायण के डायलॉग भी खूब वायरल हो रहे हैं. इस पर उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया संवाद का सशक्त माध्यम है. लोग इसे तेजी से अपना रहे हैं. ट्वीट रिट्वीट होते रहते हैं. डायलॉग भी इसीलिए अधिक वायरल हो रहे हैं.

यह पूछने पर कि आप ट्विटर पर कब एक्टिव हुए, इस पर उन्होंने बताया कि एकाउंट बहुत पुराना था लेकिन मैं इस पर सक्रिय रामायण के प्रसारण के दौरान हुआ. ट्विटर पर 20 दिन में ही 1़ 80 लाख फॉलोअर आ गए. फेसबुक में 10 लाख फॉलोअर हैं. इंस्टाग्राम और यूट््यूब में भी एक-एक लाख फॉलोअर हैं.

आपने बीते दिनों कहा था कि किसी सरकार ने सम्मान नहीं दिया, तो इतने दिनों बाद ऐसा कहने कर क्या वजह रही? इस पर अरूण गोविल ने बताया कि दरअसल फिल्म फेयर के चीफ एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर ने मुझसे ट्विटर पर यह सवाल पूछा था तो मैंने जवाब में ऐसा कहा था. बाद में एक और ट्वीट करके मैंने स्पष्ट किया कि अवार्ड पाने की मेरी कोई आकांक्षा नहीं थी. केवल उस प्रश्न का उत्तर देना था, इसलिए ऐसा कहा था.

हालांकि, राजकीय सम्मान का एक अस्तित्व होता है, लेकिन जो दर्शकों से मिला है वह मेरे जीवन का सबसे बड़ा अवार्ड है. मैंने ट्वीट में भी लिखा था, "आपसे जो प्रेम मिला उसके लिए धन्यवाद." यह पूछने पर कि अगर कोई सरकार आपको सम्मान दे तो क्या आप उसको स्वीकार करेंगे, तब उन्होंने कहा कि बिल्कुल. अवार्ड से कोई समस्या नहीं है, मिलेगा तो उसका स्वागत होगा. नहीं मिला तो भी कोई समस्या नहीं और न ही इसके लिए किसी से कोई शिकायत है.

लॉकडाउन के कारण दिनचर्या में आये बदलाव के बारे में पूछने पर रामायण के राम ने बताया कि कोई खास बदलाव नहीं आया है. घर पर अपने परिवार के साथ हैं. बस बाहर जाने को नहीं मिलता, यही अंतर है. लोग इस दौरान रचनात्मकता दिखा रहे हैं. किसी को लिखने का शौक है तो वह लिख रहा है. हर व्यक्ति अपनी रुचि के अनुसार अपने शौक पूरे कर रहा है. मैं भी अपने परिवार के साथ रामायण देख रहा हूं. इंटरव्यू दे रहा हूं. सोशल मीडिया पर वीडियो बनाकर डाल देता हूं. ऐसे ही समय व्यतीत हो रहा है.

नई पीढ़ी के कलाकारों को संदेश देने की बात पर अरूण गोविल कहते हैं कि मुझे बहुत सारे लोग मोटिवेशनल स्पीच के लिए बुलाते हैं. मैं यही कहता हूं कि लाइफ मैनेजमेंट पर ध्यान देना चाहिए. मुझे कॉरपोरेट सेक्टर के लोग भी बुलाते हैं. सबको एक ही बात कहता हूं कि रामायण में बहुत कुछ है उसे सिर्फ देखें ही नहीं बल्कि समझें भी और अपने जीवन में कुछ चीजों को उतारें भी. इससे कल्याण हो जाएगा. जीवन में सुख शांति होना बहुत जरूरी है.

उन्होंने कहा, "रामायण हमें रिश्ते सिखाती है. मानव जीवन में सिर्फ घर का ही रिश्ता नहीं है और तमाम रिश्ते भी होते हैं. अगर हम सभी रिश्ते ठीक कर लें तो जीवन बहुत अच्छा हो जाता है. सिर्फ लेना ही नहीं, अगर देना भी सीख लें तो जीवन में सुख शांति आ जाती है. रामायण यही सिखाती है. मैं सारी मोटिवेशनल बातें करता हूँ और रामायण ही मेरे लिए सबका सार है. यही मैं लोगों से कहता हूँ. नई पीढ़ी से भी यही आग्रह है कि वे इसे अपनाएं.