फिल्म: स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2
कास्ट: टाइगर श्रॉफ, अनन्या पांडे, तारा सुतारिया, आदित्य सील, समीर सोनी, गुल पनाग, मनोज पाहवा
निर्देशक: पुनीत मल्होत्रा
रेटिंग्स: 3 स्टार्स
कहानी: करण जौहर (Karan Johar) तकरीबन 7 साल के बाद अपनी फिल्म 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' का दूसरा पार्ट 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2' (Student of the Year 2) लेकर दर्शकों के सामने पेश है. इस फिल्म में टाइगर श्रॉफ लीड रोल में हैं वहीं इस फिल्म से वो अनन्या पांडे (Ananya Pandey) और तारा सुतारिया (Tara Sutaria) को बॉलीवुड में लॉन्च कर रहे हैं. फिल्म के फर्स्ट हाफ में दिखाया गया है कि रोहन शर्मा (टाइगर श्रॉफ) देहरादून (Dehradun) के पिशोरिलाल चमनदास कॉलेज में पढ़ रहे हैं. वो अपनी बचपन को दोस्त मृदुला शंकर (तारा सुतारिया) से बेहद प्यार करते हैं और उन्हें पाना ही उनका मकसद है. बाद में मृदुला शहर के नामचीन कॉलेज 'सेंट थेरेसा' में पढ़ने चली जाती हैं और रोहन उनके बिना अकेला हो जाता है. इसके बाद रोहन जोकि एक एथलिट और स्पोर्ट्समैन है, स्पोर्ट्स कोटा के जरिए उसी कॉलेज में एडमिशन लेता है ताकि वो मृदुला के साथ वक्त बिता सके. लेकिन मृदुला के अपने सपने होते हैं जिसके चलते वो रोहन का दिल तोड़ देती हैं. सेंट थेरेसा कॉलेज में रोहन को सेंट थेरेसा (Saint Theresa) के स्टार स्टूडेंट मानव मेहरा (आदित्य सील) द्वारा हमेशा से नीचा दिखाया जाता है और उनके मिडिल क्लास बैकग्राउंड का मजाक उड़ाया जाता है. अनन्या पांडे जोकि श्रेया का किरदार निभा रही हैं एक ऐसी लड़की के रूप में नजर आती हैं जिनके पिता कॉलेज के ट्रस्टी हैं और वो इसका भरपूर फायदा उठाती है. श्रेया कॉलेज में खूब मनमानी करती हैं और टाइगर को काफी तंग करती हैं. फिल्म के फर्स्ट हाफ में इतनी कहानी दिखाई गई है.
फिल्म के सेकंड हाफ में देखा गया कि रोहन के अंदर बदले की आग पनप रही है. वो अपने ऊपर लगा लूजर का टैग हटाना चाहता है और अपने अतीत को अपने प्यार को एक तरफ रखकर अपने सच्चे मंजिल को पाने के लिए मेहनत करने जुट जाते हैं. अब उनकी मंजिल है 'पिशोरिलाल चमनदास कॉलेज' को अन्तर-कॉलेज फेस्ट में जीत दिलाना और साथ ही स्टूडेंट ऑफ द ईयर का खिताब हासिल करके मानव मेहरा का घमंड चूर करना. कहानी में कई मोड़ आते हैं और सेकंड में हाफ में रोहन को उनके दोस्तों का और श्रेया का साथ मिलता है. फिल्म में अनन्या और तारा दो कॉलेज गर्ल्स के रूप में नजर आ रही हैं वो एक दूसरे को जबरस्त टशन दे रही हैं.
पुनीत मल्होत्रा (Punit Malhotra) द्वारा निर्देशित इस फिल्म में रोमांस है, एक्शन है, डांस है लेकिन इमोशन की कमी है. फिल्म की स्टोरी बेहद साधारण ढंग से बढ़ती है. फिल्म के अंतिम सीन्स में जहां कबड्डी मैच दिखाया है, ये आपको कुछ पल के लिए रोमांचित जरूर करेगा लेकिन ये उस प्रकार का एक्साइटमेंट क्रिएट नहीं कर पाया जिसकी इससे उम्मीद है. फिल्म की कहने देहरादून में सेट की गई है और इसके खूबसूरत लोकेशन्स आपको पसंद आएगा. फिल्म में कलाकारों का काम भी बढ़िया है. अपने पहले पार्ट की तुलना में ये फिल्म उतनी शानदार बनकर नहीं उभर पाई है.
ये भी बता दें कि इस फिल्म में विल स्मिथ (Will Smith), आलिया भट्ट (Alia Bhatt), फराह खान (Farah Khan) और शेखर रवजियानी (Shekhar Ravjiani) गेस्ट अपीयरेंस में हैं.
अभिनय: इस फिल्म में टाइगर श्रॉफ का काम काफी बढ़िया है. मेकर्स ने उनके एक्शन पैक्ड टैलेंट का भरपूर इस्तेमाल किया है. यहां वो कभी तो एक छत से दुसरे छत पर सुपर हीरो की तरह कूदते हुए नजर आ रहे हैं तो वहीं फाइट सीन्स में दर्शकों की तालियां बटोर रहे हैं. इसी के साथ डांस में भी उनका जवाब नहीं. बात करें अनन्या पांडे की तो अपनी पहली ही फिल्म में बाजी मरती हुईं नजर आ रही हैं. उन्होंने एक्टिंग और डांस के मामले में बढ़िया काम किया है. इसमें कोई शक नहीं कि आनेवाले समय में अनन्या एक बेहतरीन अभिनेत्री के रूप में उभरेंगी. बात करें तारा सुतारिया की तो यहां उनका काम भी दर्शकों को पसंद आएगा. फिल्म में आदित्य सील ने भी अपने नेगेटिव रोल के साथ न्याय किया है. यहां उनके किरदार में एटीट्यूड तो नजर आता है लेकिन चेहरे पर एक्सप्रेशन की कमी है. इस मामले में वो और बेहतर कर सकते थे.
म्यूजिक: करण का म्यूजिक दर्शकों के बीच काफी पॉपुलर रहा है लेकिन इस फिल्म में संगीत के मामले में कुछ खास सुनने को नहीं मिलता. फिल्म के गानें और इसके बोल भी आपको इम्प्रेस नहीं करेंगे. संगीत के मामले में म्यूजिक कंपोजर्स विशाल-शेखर (Vishal-Shekhar) और बढ़िया काम कर सकते थे. इस फिल्म में ऐसा कोई गाना नहीं जो सिनेमाघर से निकलते समय भी आपने जहन में बना रहे.
फाइनल टेक: पुनीत मल्होत्रा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में कलाकारों ने अपना शत-प्रतिशत देने की पूरी कोशिश की है. लेकिन कई जगहों पर इस फिल्म में कमी नजर आती है. फिल्म के लोकेशनस, सेंट थेरेसा कॉलेज और इसके सेट्स देखने के काफी बढ़िया है लेकिन एक हिट फिल्म के लिए ये पर्याप्त नहीं. फिल्म की ढीली-ढाली स्टोरी इसे कुछ हद तक एक टिपिकल बॉलीवुड फिल्म बनाती है. फिल्म के अंतिम सीन्स में जहां दो कॉलेजों के बीच स्पोर्ट्स कम्पटीशन दिखाया गया है, इसमें भी आपको उस प्रकार का थ्रिल महसूस नहीं होगा जैसा कि इससे उम्मीद थी. करण जौहर की इस काल्पनिक स्कूल में पढ़ाई कम और एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटीज ज्यादा हैं. 2 घंटे 26 मिनट की इस फिल्म में भाव की कमी नजर आती है जो इसकी सबसे बड़ी कमजोरी है. टाइगर श्रॉफ इस फिल्म की जान हैं और उन्हीं की बदौलत आप इस फिल्म को सिनेमाघर में सह पाएंगे. अगर आप टाइगर श्रॉफ के फैन हैं तो आपको ये फिल्म पसंद आएगी. ओवरऑल बात की जाए तो ये फिल्म हमें निराश करती है.