संजय मिश्रा का 'समोसा एंड संस' ओटीटी पर होगी रिलीज
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निमार्ता शालिनी शाह अपनी फीचर फिल्म 'समोसा एंड संस' ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज करने के लिए तैयार है. फिल्म में अभिनेता संजय मिश्रा और बृजेंद्र कला, नेहा गर्ग, जीतू शास्त्री, मीरा सुयाल, रचना बिष्ट, मीनल साह जैसे कलाकार हैं. फिल्म को सभी कोविड प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए महामारी के दौरान शूट किया गया है.
मुंबई, 6 अक्टूबर : राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निमार्ता शालिनी शाह अपनी फीचर फिल्म 'समोसा एंड संस' ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज करने के लिए तैयार है. फिल्म में अभिनेता संजय मिश्रा (Sanjay Mishra) और बृजेंद्र कला, नेहा गर्ग, जीतू शास्त्री, मीरा सुयाल, रचना बिष्ट, मीनल साह जैसे कलाकार हैं. फिल्म को सभी कोविड प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए महामारी के दौरान शूट किया गया है. फिल्म के बारे में बोलते हुए संजय मिश्रा ने कहा, "पिछले साल हम सभी एक महामारी के बीच थे और उस समय स्थिति बहुत गंभीर थी. हमें नहीं पता था कि भविष्य में क्या होगा, धीरे-धीरे और लगातार चीजें सुव्यवस्थित होने लगीं. भगवान की कृपा से हमने 'समोसा एंड संस' नाम की एक खूबसूरत फिल्म की शूटिंग की है, ना केवल फिल्म को खूबसूरती से शूट किया गया है बल्कि हम सभी ने इस पर बहुत मेहनत की है."
फिल्म भारतीय समाज के सामने आने वाले मुद्दों पर प्रकाश डालती है और एक विचारशील संदेश देती है कि आप अपने विचारों में कितने भी आधुनिक हों, कुछ चीजें हैं, जो आपको बांधती हैं. फिल्म निर्देशक शालिनी शाह ने फिल्म के बारे में बात करते हुए कहा, "हल्का और मनोरंजक, 'समोसा एंड संस' हमारे समाज के पाखंड पर एक व्यंग्य है, जो एक बेटे की इच्छा को छिपाने की कोशिश करता है, लेकिन विफल रहता है." फिल्म को दीपक तिरुवा ने लिखा है. शालिनी ने अपनी डॉक्यूमेंट्री 'फ्रॉम द लैंड ऑफ बुद्धिज्म टू द लैंड ऑफ बुद्धा' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीता है. संजय मिश्रा के अभिनय कला के बारे में बात करते हुए शालिनी ने कहा, "भूत का पार्ट हास्यपूर्ण है और संजय मिश्रा से बेहतर कोई विकल्प नहीं है." यह भी पढ़ें : Akshara Singh Hot Photos: भोजपुरी एक्ट्रेस अक्षरा सिंह ने खूबसूरत फूलों के बीच खड़े होकर दिखाए नखरें, अदाएं गिरा रही हैं बिजलियां
उत्तराखंड के एक सुंदर पहाड़ी शहर में स्थापित, फिल्म एक विनम्र समोसा दुकान के मालिक चंदन कोरंगा (चंदन बिष्ट) के जीवन का पता लगाती है. चंदन हर रात अपने मृत पिता के भूत (संजय मिश्रा) को देखता है जो उसे एक बेटे की सख्त चाह में ब्रेनवॉश कर देता है. सात साल की बच्ची के पिता, चंदन अपने पिता के भूत की इच्छाओं को अपनी प्रगतिशील पत्नी ध्वनि के साथ साझा करने से डरती है. क्या चंदन को इस बात का एहसास होगा कि यह कोई भूत नहीं है, बल्कि वर्षों की पितृसत्ता से बंधा हुआ उसका अपना अवचेतन है जो उसके विचारों और कार्यों पर हावी है?