Gold Film Review: देशभक्ति के जज्बे से भरी है ये स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म, मस्तीभरा है अक्षय कुमार का अंदाज
अक्षय कुमार और मौनी रॉय स्टारर ये फिल्म देखने से पहले इसका ये रिव्यू जरूर पढ़ें
कास्ट: अक्षय कुमार, मौनी रॉय, निकिता दत्ता, अमित साध, कुणाल कपूर और सनी कौशल
निर्देशक: रीमा कागटी
रेटिंग्स: 3 स्टार्स
अक्षय कुमार और मौनी रॉय स्टारर फिल्म ‘गोल्ड’ कल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर रिलीज होने को तैयार है. इस फिल्म का दर्शक लंबे समय से इंतजार कर रहे थे. अक्षय की पिछली फिल्मों की बात करें तो ‘टॉयलेट: एक प्रेम कथा’ में जहां वो अपने घर में शौचालय का निर्माण कराने को लेकर परेशान थे तो वहीं फिल्म ‘पैडमैन’ में गांव की महिलाओं के लिए सस्ते और अच्छे क्वालिटी के पैड्स बनाने और उसका प्रचार करने को लेकर परेशान दिखे. अब फिल्म ‘गोल्ड’ में अक्षय अपने देश की खातिर स्वर्ण पदक जीतने की खातिर संघर्ष कर रहे हैं. खास बात ये है कि अपनी हर फिल्म में अक्षय दर्शकों एक अच्छी सीख देने के साथ ही प्रेरणात्मक कहानी भी सुना रहे हैं. अब बात करते हैं फिल्म ‘गोल्ड ‘ की.
कहानी: इस फिल्म की कहानी उस समय सेट की गई है जब ‘भारत’ अंग्रेजी हुकूमत से आजाद नहीं हुआ था. हॉकी के खेल के इर्द गिर्द घूमती इस फिल्म की कहनी में बताया गया है कि किस तरह से साल दर साल ओलिंपिक खेल में स्वर्ण पदक जीतने के बाद भी भारतीय खुश नहीं हैं क्योंकि उन्हें अंग्रेज शासित भारत नहीं बल्कि आजाद भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतना है और यही चीज उन खिलाड़ियों का सबसे बड़ा सपना है. अक्षय कुमार फिल्म में इंडियन हॉकी टीम के मैनेजर हैं जिन्होंने उन खिलाड़ियों के साथ देश के लिए गोल्ड जीतने का सपना देखा है. फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है और बताया जाता है कि विश्वयुद्ध 2 के चलते 12 साल तक ओलिंपिक खेल को लगातार रद्द किया जा रहा है. इसी बीच फिल्म में एक बंगाली व्यक्ति का किरदार निभा रहे अक्षय अपना सपना पूरा न हो पाने के कारण परेशान हैं. वो शराब के नशे में चूर हैं लेकिन अपने सपने को सफल बनाने की उम्मीद लगाए हुए हैं. बाद में जब ओलिंपिक खेल की घोषणा होती है तब वो बड़ी मेहनत से अपनी हॉकी टीम तैयार करते हैं लेकिन यहां भी उनके लिए सबसे बड़ी परेशानी सामने आती है. टीम तैयार होती ही है कि यहां ‘भारत’ देश को आजादी मिल जाती है. आजादी के साथ भारत का विभाजन होता है और टीम के कुछ मेंबर्स को हमेशा के लिए पाकिस्तान जाना पड़ता है. इसके चलते अक्षय का सपना धरा का धरा रह जाता है. फिर भी वो लाख दुख सहने के बाद फिर उठ खड़े होते हैं और एक बार फिर अलग-अलग जगह से खिलाड़ियों को खोजकर अपनी नई टीम बनाते हैं. यहां इस टीम में आपसी रंजिश के चलते उनकी सफलता की राह में कई बाधा आती है लेकिन अक्षय उन्हें अपने वतन के प्रति जिम्मेदारी को याद दिलाए रखते हैं और अंत तक सफल होने में उन्हें प्रेरित करते हैं. फिल्म में मौनी रॉय, अक्षय की पत्नी की भूमिका में हैं जो मिजाज से सख्त और अनुशासन प्रिय हैं. अमित साध, कुणाल कपूर और सनी कौशल हॉकी टीम के खिलाड़ी के रूप में नजर आ रहे हैं.इस फिल्म में निकिता दत्ता, सनी कौशल की प्रेमिका की भूमिका में हैं
अभिनय: बात करें लीड एक्टर्स की तो अक्षय और मौनी एक बंगाली पति-पत्नी की भूमिका में हैं. भले ही अक्षय का किरदार एक बंगाली शख्स का है लेकिन उनके मिजाज में आपको उनके पंजाबी स्टाइल की ही झलक दिखेगी. इस किरदार में अक्षय पूरी तरह से ढले हुए नजर नहीं आ रहे. मौनी रॉय की एक्टिंग की बात करें तो ये बात साफ है कि वो और भी बेहतर प्रदर्शन कर सकती थी. ये कहा जा सकता है कि उनकी परफॉर्मेंस को आप उतना एंजॉय नहीं करेंगे जितना की आप उम्मीद कर रहे हैं. फिल्म में कुणाल कपूर और अमित साध अपने किरदार में पूरी तरह से ढले हुए नजर आए. उन्होंने अपने रोल की बारीकियों पर ध्यान दिया है और इसी के चलते आपको उनका काम पसंद आएगा. बात करें सनी कौशल की तो उनका किरदार भी काफी अहम है, खास करके फिल्म के अंतिम सीन्स में. वो एक ऐसे सिख की भूमिका में हैं जो वतन परस्त तो है लेकिन हमेशा गुस्से से काम लेता है और उसके भीतर सब्र रखने का हौसला नहीं है. उनकी एक्टिंग भी आप एंजॉय करेंगे. सबसे खास बात ये है कि इस फिल्म से बॉलीवुड में डेब्यू कर रहीं निकिता दत्ता का काम खूबसूरत है. उन्होंने अपने किरदार को बखूबी निभाया है. फिल्म में उनका कॉन्फिडेंस लेवल भी कमाल का है.
निर्देशन: रीमा कागटी ने इस फिल्म की कहानी को काफी बढ़िया तरीके से प्रस्तुत किया है. ब्रिटिश इंडिया से लेकर आजाद भारत तक के सीन्स पर बारीकियों से काम किया गया है जिसके चलते आप भी इसके साथ टाइम ट्रेवल करेंगे और उस दौर में चले जाएंगे जब ये सब महज कहानी नहीं बल्कि एक हकीकत थी.
म्यूजिक: एक हिस्टोरिकल स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म होने के नाते हम एक दमदार म्यूजिक की उम्मीद कर रहे थे लेकिन इस मामले में ये फिल्म पीछे रह गई है. फिल्म के गाने मजेदार हैं लेकिन यहां कहानी को मद्देनजर रखते हुए इसे इंटेंस और सीरियस किस्म के बेकग्राउंड स्कोर की जरूरत थी. फिल्म में देशभक्ति पर आधारित कोई थीम सॉन्ग भी जोड़ा जा सकता थे जिसके चलते ये फिल्म लोगों के जहन में और भी आसानी से बस जाती. लेकिन ऐसा नहीं हुआ है.
फिल्म की खूबियां: फिल्म में अक्षय कुमार की एक्टिंग जहां गंभीर है वहीं कॉमेडी से भी भरी है. फिल्म में दिखाए गए ब्रिटिश इंडिया के समय के माहौल और साथ ही विभाजन के समय की स्थिति जैसे कुछ सीन्स हैं जिन्हें आप एंजॉय भी करेंगे और साथ ही इन्हें देखकर आप सहम भी जाएंगे. ये फिल्म आपको सच्ची देशभक्ति और वतन के लिए प्यार की भावना का एहसास कराएगी. फिल्म की कास्ट भी जबरदस्त है.
फिल्म की खामियां: लीड एक्ट्रेस की मौनी रॉय की परफॉर्मेंस में आपको कमी नजर आएगी. एक स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म होने के नाते यहां एनर्जी लेवल की कमी भी आपको महसूस होगी. फिल्म की कहानी को काफी विस्तृत ढंग से पेश किया गया जिसके चलते आप थोड़ा बोर भी हो जाएंगे लेकिन क्लाइमैक्स में इस फिल्म की कहानी एक बार फिर शानदार तरीके से उठती दिखाई देती है.
देखा जाए तो निर्देशक रीमा कागटी ने इस हिस्टोरिकल स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म को बढ़िया तरीके से पेश करने में अपनी पूरी कोशिश की है. लेकिन जैसा कि हमने कहा म्यूजिक के मामले में फिल्म पीछे रह गई है साथ ही यहां एनर्जी लेवल की कमी है जो आपको ये एहसास कराए कि आप स्पोर्ट्स से जुड़ी फिल्म देख रहे हैं. इन सब बातों की कमी रह गई है अन्यथा फिल्म को और अच्छे अंक दिए जा सकते थे. फिल्म देखने के बाद आपको देशभक्ति की भावना का एहसास होगा. ये फिल्म आपको इएंटरटेन के साथ ही भावुक भी कर देगी.