Adi Shankaracharya Review:'आदि शंकराचार्य' की कहानी में आस्था, इतिहास और अभिनय का संगम, मिलती है 8वीं सदी के भारत की जीवंत झलक!
आदि शंकराचार्य के जीवन, उनके दर्शन और भारत की आध्यात्मिक समृद्धि को दर्शाने के लिए 'द आर्ट ऑफ लिविंग' ने लेखक-निर्देशक ओंकार नाथ मिश्रा के निर्देशन में वेब सीरीज 'आदि शंकराचार्य' प्रस्तुत की है.
Adi Shankaracharya Review: आदि शंकराचार्य के जीवन, उनके दर्शन और भारत की आध्यात्मिक समृद्धि को दर्शाने के लिए 'द आर्ट ऑफ लिविंग' ने लेखक-निर्देशक ओंकार नाथ मिश्रा के निर्देशन में वेब सीरीज 'आदि शंकराचार्य' प्रस्तुत की है. यह 10 एपिसोड्स की सीरीज शंकराचार्य के जीवन के शुरुआती आठ वर्षों पर केंद्रित है, जिसमें उनके अद्वैत सिद्धांत और समाज में उनकी भूमिका को ऐतिहासिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है.
इस सीरीज की कहानी के अनुसार, शंकराचार्य का जन्म 788 ई. में केरल के त्रिशूर में हुआ, जब भारत धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक अंधकार के दौर से गुजर रहा था. प्रारंभिक एपिसोड्स में मौर्य साम्राज्य के बाद के समय में धार्मिक मतभेदों और संप्रदायों के उत्थान को दिखाया गया है. इसमें बौद्ध धर्म और जैन धर्म के उदय से लेकर, साम्प्रदायिकता और विभाजन तक की परिस्थितियों का विवरण है. इस संकट के समय में, भारत में आदि शंकराचार्य का जन्म हुआ, जिनके कार्यों ने देश को दिशा देने का कार्य किया.
कहानी और निर्देशन
ओंकार नाथ मिश्रा ने सीरीज के ऐतिहासिक और आध्यात्मिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इसे तैयार किया है. उन्होंने 8वीं सदी के भारत का ऐसा दृश्य प्रस्तुत किया है, जिसमें तत्कालीन समाज, पहनावा, रीति-रिवाज, बोली और संस्कृति की झलक मिलती है. 10 एपिसोड्स को उन घटनाओं के नाम दिए गए हैं जो शंकराचार्य के जीवन में महत्वपूर्ण रही हैं, जैसे कि 'आगमन,' 'विलक्षण बालक,' 'गुरुकुल में प्रवेश,' और 'सन्यास'. निर्देशक ने हर छोटे-बड़े ऐतिहासिक तथ्य को बारीकी से प्रस्तुत किया है, जिससे दर्शक खुद को उसी युग में अनुभव करते हैं.
अभिनय
इस सीरीज में युवा शंकराचार्य का किरदार अर्णव खानिजो निभा रहे हैं, जिन्होंने अपनी मासूमियत और परिपक्वता से दर्शकों को प्रभावित किया है. शंकराचार्य के माता-पिता की भूमिकाओं में सुमन गुप्ता और संदीप मोहन ने अपने अभिनय का भरपूर प्रभाव छोड़ा है. आचार्य विभूति की भूमिका में राजीव रंजन, और आचार्य धर्मध्वज की भूमिका में योगेश महाजन ने अपने किरदारों के साथ बेहतरीन तालमेल बिठाया है. इसके अलावा, शिवेंदु ओमशाइनिवाल और हितेन्द्र उपासनी ने अपने छोटे लेकिन महत्वपूर्ण किरदारों में गहरी छाप छोड़ी है.
संगीत
सीरीज का संगीत और पृष्ठभूमि संगीत बहुत ही मार्मिक और सटीक है, जो दर्शकों को उस समय की ध्वनि और भावना से जोड़ता है. 'शिवोहम' जैसे गीत और अन्य भजन दर्शकों को आध्यात्मिकता का अनुभव कराते हैं. संगीत की गुणवत्ता इस सीरीज को और अधिक प्रभावी बनाती है.
निष्कर्ष
'आदि शंकराचार्य' वेब सीरीज न केवल एक ऐतिहासिक और धार्मिक कहानी है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का मानचित्र है. यह सीरीज दर्शकों को भारतीय इतिहास की समृद्धि से रूबरू कराती है और शंकराचार्य के जीवन से प्रेरणा लेने का अवसर देती है. हालांकि सीरीज में कमजोर सेट और एडिटिंग आपका ध्यान भटका सकती है, बावजूद इसके यह सीरीज दर्शकों को मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञानवर्धन का भी अनुभव कराती है.
1 नवंबर से यह सीरीज 8 भाषाओं में आर्ट ऑफ लिविंग ऐप पर फ्री उपलब्ध होगी, जिससे यह पूरे भारत के दर्शकों तक पहुंच सकेगी.