नयी दिल्ली, 26 मार्च नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बी वी आर सुब्रह्मण्यम ने बुधवार को कहा कि आयोग घरेलू सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के विकास के लिए वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की पैठ को बेहतर बनाने के लिए एक कार्यक्रम पर काम कर रहा है।
सुब्रह्मण्यम ने ‘वृद्धि और उद्यम के लिए डिजिटल उत्कृष्टता’ (डीएक्स-एज) पेश करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि एमएसएमई बड़ी कंपनियों की तुलना में नियमों से अधिक प्रभावित होते हैं। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री ने विनियमन की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता में एक कार्यबल इस पर काम कर रहा है।
डीएक्स-एज, एमएसएमई को भविष्य के लिए तैयार, प्रतिस्पर्धी और मजबूत बनने के लिए आवश्यक सहायता, ज्ञान और परिवेश के साथ सशक्त बनाने का एक मंच है।
यह एक राष्ट्रीय पहल है जिसका नेतृत्व उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने नीति फ्रंटियर टेक हब (नीति एफटीएच) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के समर्थन से देश के एमएसएमई में डिजिटल बदलाव को बढ़ावा देने के लिए किया है।
नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि यह एक तथ्य है कि कुछ बड़े विनिर्माता भारत आये हैं। उन्होंने मोबाइल फोन का उदाहरण देते हुए इसे पीएलआई (उत्पादन आधारित प्रोत्साहन) पहल की सफलता की कहानी बताया।
उन्होंने कहा कि कहानी का दूसरा पहलू यह है कि मोबाइल फोन विनिर्माण में इस्तेमाल होने वाला 95 प्रतिशत सामान आयात किया जा रहा है।
सुब्रह्मण्यम ने कहा, ‘‘...हम भारत में एक परिवेश बनाने के लिए काम कर रहे हैं। नीति आयोग भारत की वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में पैठ बढ़ाने के लिए एक कार्यक्रम पर काम कर रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में पैठ बनाने के लिए, आपको यहां अनुकूल परिवेश की आवश्यकता है। इसका मतलब है कि मध्यवर्ती उत्पाद। वे अंतिम उत्पाद नहीं हैं। वे किसी अन्य उत्पाद में उपयोग किये जाते हैं। वैश्विक विनिर्माण का बड़ा हिस्सा मध्यवर्ती उत्पादों का है। और इन मध्यवर्ती उत्पादों को कौन बनाता है, मुख्य रूप से एमएसएमई।’’
उन्होंने यह भी कहा कि सीआईआई और नीति फ्रंटियर टेक हब का डीएक्स-एज मंच भारत की डिजिटल यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसे अत्याधुनिक तकनीक और डिजिटल महारत के साथ एमएसएमई को सशक्त बनाने के लिए तैयार किया गया है।
सुब्रह्मण्यम ने कहा कि डिजिटल बदलाव सुविधा केंद्रों का एक राष्ट्रव्यापी नेटवर्क स्थापित करके, यह पहल कौशल और नवोन्मेष तक पहुंच को लोकतांत्रिक बनाती है। यह एमएसएमई की क्षमता बढ़ाने, वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने और विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम बनाती है।
इस मौके पर सूक्ष्म, लघु और मझोला उद्यम मंत्रालय के सचिव एस सी एल दास ने कहा कि वैश्विक स्तर पर प्रतिकूल परिस्थिति और उभरती चुनौतियों से बचने और विकसित राष्ट्र बनने के लिए अग्रणी तकनीक, डिजिटलीकरण और प्रौद्योगिकी एक आवश्यकता बन गई है।
उन्होंने कहा कि सरकार लगातार विकसित भारत के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप इस दिशा में काम कर रही है।
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने भारतीय अर्थव्यवस्था में एमएसएमई के महत्व को बताया और कहा कि डीएक्स-एज, इस क्षेत्र में प्रौद्योगिकी अंतर को पाटने में मदद करेगा।
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