जरुरी जानकारी | कीटनाशकों पर जीएसटी घटाने की मांग को वित्तमंत्री के समक्ष रखेंगे: तोमर

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नयी दिल्ली, 23 जून कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बृहस्पतिवार को कृषि-रसायन उद्योग को आश्वासन दिया कि वह वित्तमंत्री के समक्ष कीटनाशकों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने की उद्योग की मांग को उठाएंगे।

फिक्की के '11वें कृषि रसायन सम्मेलन 2022' को संबोधित करते हुए, मंत्री ने फसल विविधीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि किसानों को अधिक बागवानी और महंगी फसलें उगानी चाहिए।

कीटनाशकों पर जीएसटी घटाने की उद्योग की मांग पर तोमर ने कहा कि इस विषय से जुड़े मामले पर जीएसटी परिषद विचार कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपकी मांग के बारे में वित्तमंत्री से मिलकर उन्हें अवगत कराऊंगा।’’

तोमर ने कहा कि वह उद्योग की ओर से इस मुद्दे को वित्त मंत्रालय के समक्ष उठाएंगे लेकिन इस पर अंतिम फैसला जीएसटी परिषद करेगी।

मंत्री फिक्की फसल संरक्षण समिति के अध्यक्ष आर जी अग्रवाल की मांग का जवाब दे रहे थे। उन्होंने उर्वरकों की तरह कीटनाशकों पर जीएसटी 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने की मांग की थी। इससे लागत में कमी आएगी और फसल-संरक्षण रसायनों के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।

तोमर ने उत्पादन और फसल उत्पादकता बढ़ाकर कृषि को लाभदायक बनाने पर भी जोर दिया, इसके अलावा खेती के खर्चो को कम करने के साथ-साथ फसल कटाई के बाद के नुकसान को भी कम करने की आवश्यकता जताई।

मंत्री ने कहा कि केंद्र, राज्यों के साथ मिलकर किसानों को नई प्रौद्योगिकियां उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार कृषक समुदाय की आय में सुधार के लिए 10,000 एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) स्थापित करने की प्रक्रिया में है।

मंत्री ने कहा कि देश खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर है, जबकि सरकार मिशन मोड में तिलहन और दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के प्रयास कर रही है।

उर्वरकों और कीटनाशकों के बारे में बात करते हुए तोमर ने कहा कि इन फसल सुरक्षा उत्पादों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने की जरूरत है।

उन्होंने सहमति जताई कि भारत में उर्वरकों और कीटनाशकों का कोई अनुचित उपयोग नहीं है, लेकिन कीटनाशक उद्योग को वैकल्पिक उत्पादों पर काम करने के लिए कहा क्योंकि किसान जैविक और प्राकृतिक खेती में भी रुचि ले रहे हैं।

तोमर ने कहा कि सरकार और उद्योग को छोटे और सीमांत किसानों को कृषि-रसायनों के लाभों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) इस दिशा में काम कर रहे हैं, लेकिन ठोस प्रयास करने की जरूरत है।

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