विदेश की खबरें | डब्ल्यूएचओ ने मंकीपॉक्स को वैश्विक आपातकाल घोषित करने पर विचार के लिए बैठक बुलाई
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिम में बीमारी फैलने के बाद ही डब्ल्यूएचओ ने कार्रवाई करने का मन बनाया है।
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिम में बीमारी फैलने के बाद ही डब्ल्यूएचओ ने कार्रवाई करने का मन बनाया है।
मंकीपॉक्स को वैश्विक आपातकाल घोषित करने का मतलब होगा कि संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी इस प्रकोप को एक "असाधारण घटना" मानती है तथा इस बीमारी के और भी अधिक सीमाओं में फैलने का खतरा है। यह कोविड-19 महामारी और पोलियो उन्मूलन के लिए जारी प्रयासों की तरह ही मंकीपॉक्स को लेकर भी कार्रवाई करेगी।
पिछले हफ्ते, डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम ब्रेयसस ने कहा था कि हाल में 40 से अधिक देशों, ज्यादातर यूरोप में सामने आई बीमारी मंकीपॉक्स "असामान्य और चिंताजनक" है। मंकीपॉक्स से मध्य और पश्चिम अफ्रीका में दशकों से लोग बीमार होते रहे हैं जहां बीमारी के एक स्वरूप से 10 प्रतिशत रोगियों की मौत हो जाती है। अफ्रीका से परे इस बीमारी से अब तक किसी की मौत की सूचना नहीं है।
नाइजीरियाई विषाणु विज्ञानी ओयेवाले तोमोरी ने कहा, "अगर डब्ल्यूएचओ वास्तव में मंकीपॉक्स फैलने के बारे में चिंतित था, तो वह अपनी आपातकालीन समिति की बैठक वर्षों पहले तब बुला सकता था जब यह बीमारी 2017 में नाइजीरिया में फिर से शुरू हुई थी और किसी को नहीं पता कि हमारे यहां अचानक सैकड़ों मामले कैसे आ गए।"
उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने अपने विशेषज्ञों को केवल तब बुलाया है जब बीमारी श्वेत लोगों के देशों में भी सामने आ गई है।
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने अब तक 42 ऐसे देशों में मंकीपॉक्स के 3,300 से अधिक मामलों की पुष्टि की है, जहां संबंधित वायरस आमतौर पर नहीं देखा जाता है। इनमें 80 प्रतिशत से अधिक मामले यूरोप में हैं। इस बीच, अफ्रीका में इस साल 1,400 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें 62 लोगों की मौत हो गई है।
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