नयी दिल्ली, 18 फरवरी कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के कुछ वरिष्ठ लोगों ने अडाणी समूह के ‘फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर’ (एफपीओ) को सफल बनाने का प्रयास किया।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह सवाल भी किया कि क्या भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को यह निर्देश दिया गया था कि वे करोड़ों भारतीयों की बचत को एक बार फिर से अडाणी समूह को उबारने के लिए निवेश करें?
कांग्रेस की ‘हम अडाणी के हैं कौन’ श्रृंखला के तहत पिछले कुछ दिनों की तरह शनिवार को भी कांग्रेस नेता रमेश ने प्रधानमंत्री से कुछ सवाल किए।
उन्होंने कहा, ‘‘आज के प्रश्न इस बात से संबंधित हैं कि कैसे केंद्रीय मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सदस्यों ने सार्वजनिक धन का उपयोग करके और अपने करीबी व्यवसायी मित्रों से अनु्ग्रह की गुहार लगाकर अडाणी एंटरप्राइजेज के एफपीओ की नैया पार लगाने का प्रयास किया।’’
रमेश ने सवाल किया, ‘‘क्या यह सच है कि लंबे समय से व्यावसायिक संबंध रखने वाले तथा हमेशा सुर्खियों में बने रहने वाले एक केंद्रीय मंत्री ने गौतम अडाणी की ओर से पांच-छह प्रसिद्ध व्यवसायियों को व्यक्तिगत रूप से फोन किया और उन्हें ‘गौतमभाई’ को शर्मिंदगी से बचाने के लिए उनके एफपीओ में अपने व्यक्तिगत धन का निवेश करने के लिए आग्रह किया?’’
उन्होंने यह भी पूछा, ‘‘क्या यह विषय जांच के लायक हितों के टकराव का नहीं है? क्या इस केंद्रीय मंत्री ने आपके निर्देश पर यह काम किया?’’
रमेश ने सवाल किया, ‘‘क्या अडाणी के एफपीओ को उबारने के लिए जिन व्यवसायियों पर दबाव डाला गया था, उन्हें यह आश्वासन दिया गया था कि ये सब कवायद गौतम अडाणी की साख को बचाने के लिए है और एफपीओ को बाद में रद्द कर दिया जाएगा और निवेशकों को उनका पैसा वापस कर दिया जाएगा?’’
कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘‘क्या इस प्रासंगिक जानकारी को अधिकांश निवेशकों से छिपाना और केवल कुछ चुनिंदा लोगों के साथ साझा करना भारतीय प्रतिभूति नियमों का उल्लंघन नहीं है? क्या एफपीओ निवेशकों से इस तरह धोखा करना नैतिक है?’’
उन्होंने यह सवाल भी किया, ‘‘क्या एलआईसी और एसबीआई को करोड़ों भारतीयों की बचत को एक बार फिर से अडाणी समूह को उबारने के लिए निवेश करने के निर्देश जारी किए गए थे?’’
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