देश की खबरें | हम विश्व मंगल साधना के मौन पुजारी हैं : मोहन भागवत

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने शनिवार को संगठित कार्य शक्ति की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि ‘हम विश्व मंगल साधना के मौन पुजारी हैं।’ साथ ही उन्होंने कार्यकर्ताओं से सेवा के लिए उपयुक्त एवं उत्कृष्टता पूर्ण कार्यकर्ता बनने का संकल्प लेने का आह्वान किया।

जयपुर, आठ अप्रैल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने शनिवार को संगठित कार्य शक्ति की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि ‘हम विश्व मंगल साधना के मौन पुजारी हैं।’ साथ ही उन्होंने कार्यकर्ताओं से सेवा के लिए उपयुक्त एवं उत्कृष्टता पूर्ण कार्यकर्ता बनने का संकल्प लेने का आह्वान किया।

डॉ. भागवत जयपुर के जामडोली स्थित केशव विद्यापीठ में चल रहे सेवा संगम के दूसरे दिन देशभर से आए सेवा भारती के प्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘संगठित कार्य शक्ति हमेशा विजयी रहती है। हम विश्व मंगल साधना के मौन पुजारी हैं। इसके लिए सामर्थ्य-सम्पन्न संघ शक्ति चाहिए, क्योंकि अच्छा कार्य भी बिना शक्ति के कोई मानता नहीं है, कोई देखता नहीं है। यह विश्व का स्वभाव है।’’

आरएसएस की प्रार्थना में "विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर् विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्। परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं " का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘संगठित कार्य शक्ति हमेशा विजयी रहती है। धर्म का संरक्षण करते हुए हम राष्ट्र को परम वैभव सम्पन्न बनाएंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘संघ की प्रेरणा से स्वयंसेवकों ने सेवा कार्य किए। इनसे ही ‘सेवा भारती’ का जन्म हुआ। सेवा का कार्य सात्विक होता है। फल की इच्छा नहीं रखकर किए जाने वाले कार्य सात्विक होते हैं। जो कार्य स्वार्थवश किए जाते हैं वे राजसी कार्य होते हैं। तामसिक कार्य भी होते हैं। ऐसा करने वाले अपना भी भला नहीं करते और दूसरों का भी नुकसान करते हैं। सेवा का लाभ सेवित और सेवक दोनों को होता है। सेवक निस्वार्थ बुद्धि से सेवा करते हैं।’’

एक बयान के अनुसार, निस्वार्थ सेवा पर बल देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘कार्यकर्ता कार्य के स्वभाव के साथ तन्मय होता है, तब कार्य होता है। कार्य के अनुरूप कार्यकर्ता हो, ऐसी समझ हमें विकसित करनी है। सेवा कार्य मन की तड़प से होते हैं। हमें विश्व मंगल के लिए काम करना है। इसलिए काम करने वालों का बड़ा समूह खड़ा करना है।’’

सेवा भारती के इस तीन दिवसीय संगम में देश भर से 800 से अधिक स्वैच्छिक सेवा संगठनों के हजारों प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।

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