हज यात्रा को लेकर हम पूरी तरह तैयार, बस सउदी सरकार के फैसले का इंतजार: मुख्तार अब्बास नकवी
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने मंगलवार को कहा कि इस साल हज की यात्रा के लिए भारत सरकार ने अपनी तरफ से पूरी तैयारी कर ली है और वह इस संबंध में सउदी अरब की सरकार के फैसले का इंतजार कर रही है.
नयी दिल्ली, 5 अप्रैल : केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbas Naqvi) ने मंगलवार को कहा कि इस साल हज की यात्रा के लिए भारत सरकार ने अपनी तरफ से पूरी तैयारी कर ली है और वह इस संबंध में सउदी अरब की सरकार के फैसले का इंतजार कर रही है. राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान एक सदस्य की ओर से दो साल से हज की यात्रा ना होने का मुद्दा उठाए जाने के जवाब में नकवी ने यह बात कही. नकवी ने कहा, ‘‘कोरोना महामारी के दौरान पिछले दो वर्ष से भारतीय हज यात्रा पर नहीं जा सके हैं. इस बार हम कोशिश कर रहे हैं. हमारी तैयारियां हैं.’’ उन्होंने कहा कि हज यात्रा सऊदी अरब में होती है और इस बारे में निर्णय लेने का काम वहां की सरकार का है.
उन्होंने कहा, ‘‘सऊदी सरकार को तय करना है कि हज यात्रा कब होगी और कितने लोग हिंदुस्तान से जाएंगे. सऊदी अरब की सरकार जैसे ही यह तय करेगी, हम उसके साथ हैं. हमने अपनी तैयारी पूरी कर ली है.’’ नकवी ने कहा कि केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद रिकॉर्ड दो लाख से ज्यादा हज यात्री हिंदुस्तान से हज यात्रा करने गए हैं. इससे पहले, तृणमूल कांग्रेस के सदस्य मोहम्मद नदीमुल हक ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि पिछले दो साल से कोविड-19 की वजह से हज यात्रा नहीं हो पाई है. उन्होंने कहा कि कई लोगों ने यात्रा के लिए फॉर्म भर कर जमा कर दिया है लेकिन मगर अल्पसंख्यक मंत्रालय की ओर से स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि हज कमेटी में 11 सदस्यों को नामित किया गया है और इसमें कुछ खामियां रह गई है. उन्होंने कहा कि चार संयुक्त सचिवों को वोट देने का अधिकार नहीं है और नो सदस्य अलग-अलग राज्यों से चुनकर लाते हैं, उनका अभी तक चुनाव नहीं हो सका है.
आंध्र प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी के सदस्य वाई एस चौधरी ने शून्काल के दौरान पोलावरम परियोजना का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि इस परियोजना की वास्तविक परकल्पना आजादी से पहले की गई थी और फिर 1980 में इसकी आधारशिला रखी गई. उन्होंने कहा कि इसके बाद की सरकारों ने लगातार इस परियोजना केा नजरअंदाज किया. उन्होंने कहा कि वर्ष 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी ने बगैर अनुमति लिए ही परियोजना को आगे बढ़ाया. उन्होंने कहा कि बाद में उनकी मृत्यु के बाद राज्य सरकार ने इस परियोजना का ठेका एक ऐसी कंपनी को दे दिया जो पात्र ही नहीं थी. चौधरी ने कहा कि आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद केंद्र सरकार ने इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना के रूप में स्वीकार करने और इसे पूरा करने पर सहमति जताई है. उन्होंने कहा कि इस परियोजना के पूरा ना होने से आंध्र प्रदेश को बहुत नुकसान हो रहा है लिहाजा केंद्र सरकार को इस परियोजना अपने हाथ में लेकर पूरा करना चाहिए. यह भी पढ़ें : रास में शिवसेना के संजय राउत ने की फर्जी मोबाइल ऐप के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग
कांग्रेस की रजनी पाटिल ने गुजरात में गिर के जंगलों में बसे एशियाई शेरों के लिए देश के कुछ चुनिंदा स्थानों पर बसेरा बनाने की मांग की. उन्होंने कहा कि एशियाई शेर भारत के लोगों को बहुत प्रिय हैं. इसलिए इन्हें एक स्थान पर नहीं रखा जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘उनके लिए अलग-अलग बसेरे बनाए जाने से शेरों का संरक्षण भी हो सकेगा.’’ तेलूगू देशम पार्टी के कनकमेदला रवींद्र कुमार ने अमरावती ही आंध्र प्रदेश की राजधानी बनेगी यह स्थिति अब स्पष्ट हो चुकी है लिहाजा केंद्र सरकार व विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों को वहां अपने कार्यालय बनाने की काम शुरु कर देना चाहिए ताकि इससे वहां लोगों को रोजगार मिल सके.