भोपाल, चार जून कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ को राज्य विधानसभा चुनाव में पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना को लेकर पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई।
मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।
दिल्ली में 29 मई को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की मौजूदगी में मध्य प्रदेश चुनाव की तैयारियों को लेकर बैठक हुई थी। उसके बाद, विधानसभा में विपक्ष के नेता गोविंद सिंह और कमलनाथ के करीबी विधायक सज्जन सिंह वर्मा के बीच जुबानी जंग देखने को मिली।
बैठक में भाग लेने के बाद सिंह ने कहा था, ‘‘कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है। पहले से मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा करना कांग्रेस की परंपरा नहीं है। जनता विधायकों का चुनाव करेगी, जो मुख्यमंत्री चुनेंगे।’’
इस पर पलटवार करते हुए वर्मा ने कहा, ‘‘गोविंद सिंह जी कभी-कभी भूल जाते हैं कि क्या विधायकों ने उन्हें विपक्ष का नेता चुना है? नहीं, उन्हें विधायकों ने नहीं चुना था। वह वरिष्ठ थे, इसलिए हम भी विपक्ष के नेता के रूप में उनकी नियुक्ति पर सहमत हुए।’’
वर्मा ने कहा कि मध्य प्रदेश के लोग और पार्टी के नेता कमलनाथ को राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं।
वर्मा ने कहा, ‘‘(राहुल गांधी की बैठक में) उपस्थित सभी 22 नेताओं ने कमलनाथ को अपना नेता स्वीकार किया था। यह रिकॉर्ड में है। सभी नेताओं ने स्वीकार किया कि 2023 का चुनाव कमलनाथ के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।’’
इस बीच, रविवार को सिंह ने एक वीडियो बयान जारी कर दावा किया कि मीडिया ने उनकी टिप्पणी को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह सच है कि सभी वरिष्ठ नेताओं ने कमलनाथ के नेतृत्व में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है ... मैंने कई बार कहा है कि वह हमारी पार्टी के नेता हैं।’’
हालांकि, सिंह ने कहा कि चुनाव के बाद और विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री का चयन किया जाता है।
इस बीच, कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने भी कहा कि पार्टी के नेता चाहते हैं कि कमलनाथ के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाए।
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