ताजा खबरें | वक्फ कानून को निरस्त करने संबंधी निजी विधेयक को पेश करने के लिए रास में हुआ मत विभाजन

Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. राज्यसभा में शुक्रवार को वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995 को निरस्त करने संबंधी एक निजी विधेयक पेश किए जाने का विपक्षी सदस्यों द्वारा विरोध किए जाने पर मत विभाजन किया गया और विधेयक के पक्ष में 53 मत मिलने के बाद उसे सदन में पेश किया गया।

नयी दिल्ली, आठ दिसंबर राज्यसभा में शुक्रवार को वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995 को निरस्त करने संबंधी एक निजी विधेयक पेश किए जाने का विपक्षी सदस्यों द्वारा विरोध किए जाने पर मत विभाजन किया गया और विधेयक के पक्ष में 53 मत मिलने के बाद उसे सदन में पेश किया गया।

शुक्रवार होने की वजह से उच्च सदन में आज भोजनवकाश के बाद निजी कामकाज नियत था। इसके तहत भारतीय जनता पार्टी के हरनाथ सिंह यादव ने वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995 को निरस्त करने के लिए ‘वक्फ बोर्ड निरसन विधेयक 2022 सदन में पेश करने की अनुमति मांगी।

यादव ने वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995 को समाज में वैमनस्य बढ़ाने वाला और अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने वाला कानून बताते हुए कहा कि इसे निरस्त करने के लिए वह सदन में एक निजी विधेयक पेश करना चाहते हैं। इस पर सदन में मौजूद ज्यादातर विपक्षी सदस्यों ने विरोध जताया और सभापति जगदीप धनखड़ से इस निजी विधेयक को सदन मे पेश करने की अनुमति नहीं देने का अनुरोध किया।

सभापति धनखड़ ने कहा कि आईयूएमएल सदस्य अब्दुल वहाब और माकपा के इलामारम करीम ने इस निजी विधेयक का विरोध करते हुए नोटिस दिया है।

वहाब सदन में नहीं थे। इलामारम करीम ने कहा ‘‘हमारी पार्टी के अन्य सदस्यों ने भी इसके विरोध में राय जाहिर की है। वक्फ संपत्ति हमारा अधिकार है और इसका अन्य समुदायों से कोई लेना-देना नहीं है।’’

उन्होंने इसे आस्था से जुड़ा मुद्दा बताते हुए कहा कि इस संवेदनशील मुद्दे को छूना ही नहीं चाहिए।

इसी पार्टी के जॉन ब्रिटास ने कहा कि वह इस विधेयक को पेश किए जाने का विरोध करते हैं, जिसका उद्देश्य समाज में वैमनस्य पैदा करना और ध्रुवीकरण है।

माकपा सदस्य संदोष कुमार पी ने कहा कि वक्फ को लेकर एक स्थापित परंपरा है जिससे अन्य समुदायों का कोई सरोकार नहीं है और ‘‘यह निजी विधेयक इस स्थापित परंपरा को जानबूझकर छेड़ने का प्रयास है।’’

द्रमुक सदस्य पी विल्सन ने कहा कि इस विधेयक को अनुमति देना संविधान का उल्लंघन होगा। वहीं कांग्रेस की जेबी माथेर हीशम ने दावा किया कि सरकार जानबूझकर संवेदनशील मुद्दों को छेड़ती है।

द्रमुक सदस्य तिरुचि शिवा ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक का विरोध करती है। उन्होंने कहा ‘‘1947 में देश के विभाजन के समय जब मोहम्मद अली जिन्ना ने मुसलमानों से पाकिस्तान आने का आह्वान किया था तब जो मुस्लिम भारत में रुक गए थे उन्होंने कहा था कि वह इस देश के नागरिक हैं और यहीं रहेंगे।’’

शिवा ने कहा ‘‘यह उनकी भावनाओं को आहत करेगा।’’

माकपा के वी शिवदासन ने कहा कि यह विधेयक सामाजिक सद्भाव खत्म कर वैमनस्य को बढावा देगा वहीं तृणमूल कांग्रेस के जवाहर सरकार ने कहा कि यह विधेयक देश में विभाजन पैदा करने वाला और इसकी अनुमति कतई नहीं दी जानी चाहिए।

समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान ने आरोप लगाया कि सरकार अपना छद्म एजेंडा इस विधेयक के जरिये आगे बढ़ाना चाहती है।

कांग्रेस के सैयद नासिर हुसैन ने कहा कि अल्पसंख्यकों की भावनाएं आहत करने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की फौजिया खान ने कहा कि अल्पसंख्यकों के मन में इस विधेयक से असुरक्षा की भावना बढ़ेगी।

झारखंड मुक्ति मोर्चा की महुआ मांझी ने कहा कि ‘सबका साथ सबका विकास’ की बात करने वाली सरकार वास्तव में सबको साथ ले कर नहीं चलती।

इसके बाद सभापति ने इस विधेयक को पेश करने के लिए मत विभाजन की अनुमति दी। विधेयक पेश करने के प्रस्ताव के पक्ष में 53 और विरोध में 32 मत पड़े।

आसन की अनुमति से हरनाथ सिंह यादव ने इस निजी विधेयक को सदन में पेश किया। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 348 का संशोधन करने के लिए भी एक निजी विधेयक पेश किया।

कांग्रेस के राजीव शुक्ला ने संविधान की आठवीं अनुसूची का संशोधन कर, उसमें छत्तीसगढ़ी को शामिल करने के लिए अपना निजी संविधान संशोधन विधेयक पेश किया।

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