कश्मीर के मतदाता नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के वर्चस्व को समाप्त कर देंगे: भाजपा
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भले ही कश्मीर की तीन लोकसभा सीट में से किसी पर भी चुनाव नहीं लड़ रही हो लेकिन पार्टी को भरोसा है कि घाटी के मतदाता इस चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के वर्चस्व को समाप्त कर देंगे.
नयी दिल्ली, 12 मई : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भले ही कश्मीर की तीन लोकसभा सीट में से किसी पर भी चुनाव नहीं लड़ रही हो लेकिन पार्टी को भरोसा है कि घाटी के मतदाता इस चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के वर्चस्व को समाप्त कर देंगे. श्रीनगर में लोकसभा चुनाव के तहत होने वाले मतदान से एक दिन पहले भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने रविवार को दावा किया कि अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाये जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के विकास की दिशा में उठाए गए कदमों और क्षेत्र में शांति ने यह सुनिश्चित किया है कि लोग कांग्रेस के साथ ही दोनों क्षेत्रीय दलों जैसी परिवार द्वारा संचालित पार्टियों से भी कहीं आगे की ओर देख रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘ये पार्टियां 90 के दशक में आतंकवाद के दौर से लेकर जम्मू-कश्मीर में लंबे समय तक मची उथल-पुथल के लिए जिम्मेदार हैं.’’ लद्दाख और तेलंगाना के अलावा घाटी क्षेत्र में पार्टी के प्रचार की निगरानी कर रहे चुघ ने कहा, ‘‘लोग जानते हैं कि चाहे वह पीडीपी हो, नेशनल कांफ्रेंस हो या कांग्रेस, उनकी चिंताएं इन पार्टियों की प्राथमिकता नहीं हैं क्योंकि वे केवल अपने परिवार के शासन को कायम रखना चाहते हैं.’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख अब्दुल्ला को दो दशक से ज्यादा समय तक जेल में बंद रखा था लेकिन उनके बेटे और पोते क्रमश: फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने उसी पार्टी से हाथ मिला लिया है. उन्होंने कहा कि ‘यह सत्ता के लिए इन दलों की भूख को दर्शाता है’. यह भी पढ़ें : देश ने तय कर लिया है कि ‘अबकी बार 400 पार’ से आएंगे मोदी: जयराम ठाकुर
यह पूछे जाने पर कि भाजपा घाटी की तीन सीटों में से एक पर भी चुनाव क्यों नहीं लड़ रही है, उन्होंने कहा कि पार्टी केंद्र के कामों से लोगों से जुड़ने में सक्षम रही है और राजनीतिक दलों की सच्चाई को जनता के सामने लाने में सफल रही है. सूत्रों ने कहा कि भाजपा का मानना है कि उसकी उम्मीदें पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व वाली अपनी पार्टी और सज्जाद लोन की जेके पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अच्छे प्रदर्शन पर टिकी हैं क्योंकि मुस्लिम बहुल घाटी की जनसांख्यिकी पार्टी के अनुकूल नहीं है. अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद कश्मीर में यह पहला बड़ा चुनाव है. प्रतिष्ठित श्रीनगर लोकसभा सीट पर करीब 17.48 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करने के पात्र हैं. इस चुनाव में 24 उम्मीदवार मैदान में हैं. कश्मीर की दो अन्य सीट बारामूला और अनंतनाग-राजौरी में पांचवें और छठे चरण में क्रमश: 20 मई और 25 मई को मतदान होगा.
पीडीपी नेता और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अनंतनाग-राजौरी से चुनाव लड़ रही हैं, जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला बारामूला से चुनाव लड़ रहे हैं. चुघ ने कहा, ‘‘हमें यकीन है कि नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस को लोगों का समर्थन नहीं मिलेगा. उन्होंने शवों पर अपनी राजनीति खड़ी की है.’’ उन्होंने विश्वास जताया कि भाजपा लद्दाख में जीत का सिलसिला जारी रखेगी जहां उसने मौजूदा सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल की जगह ताशी ग्यालसन को मैदान में उतारा है. तेलंगाना में पार्टी की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता की वजह से दक्षिणी के इस राज्य में भाजपा को लोगों का समर्थन मिलेगा और वह सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी. भाजपा ने 2019 में राज्य में चार सीट जीती थीं. यह उसका अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था. चुघ ने दावा किया कि पुलवामा आतंकवादी हमले पर मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की हालिया टिप्पणी मतदाताओं को रास नहीं आई और कांग्रेस को इसकी कीमत चुकानी होगी. भाजपा ने रेड्डी पर आतंकवादी हमले के बाद हवाई हमलों पर सवाल उठाने का भी आरोप लगाया है.