देश की खबरें | विजयन ने कन्नूर विवि के कुलपति की पुनर्नियुक्ति में दखल के राज्यपाल के आरोपों को खारिज किया

पलक्कड (केरल), एक दिसंबर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के उन दावों को केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने शुक्रवार को खारिज कर दिया कि सरकार ने कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति की पुनर्नियुक्ति में हस्तक्षेप किया है।

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को गोपीनाथ रवींद्रन को फिर से नियुक्त करने के खान के आदेश की आलोचना करते हुए कहा था कि राज्यपाल ने पूर्व में कुलपति को फिर से नियुक्त करने की अपनी वैधानिक शक्तियों को “त्याग दिया या आत्मसमर्पण” कर दिया था।

अदालत ने पुनर्नियुक्ति को रद्द करते हुए मामले में “अनुचित हस्तक्षेप” के लिए वामपंथी सरकार की भी आलोचना की। उत्तरी केरल के इस जिले के शोरनूर में मीडिया से बात करते हुए विजयन ने उन खबरों को खारिज कर दिया जिनमें कहा गया था कि उच्चतम न्यायालय का फैसला केरल सरकार के लिए एक झटका था। उन्होंने उन खबरों को निराधार बताया।

उन्होंने स्पष्ट किया कि शीर्ष अदालत ने पुष्टि की थी कि पुनर्नियुक्ति में उचित प्रक्रिया का पालन किया गया था। विजयन ने कहा, इसके बावजूद राज्यपाल मीडिया में दावा करते रहे कि बाहरी दबाव था।

राज्यपाल के दावे को खारिज करते हुए विजयन ने कहा, “पदेन प्रो चांसलर - उच्च शिक्षा मंत्री - द्वारा लिखे गए पत्र को राज्य सरकार का अनुचित हस्तक्षेप माना गया। एक ही कानून के तहत दो अधिकारियों के बीच पत्राचार को बाहरी दबाव कैसे माना जा सकता है।”

उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने तीन कानूनी मुद्दों पर विचार किया, पहला यह कि क्या “कार्यकाल पद” पर पुनर्नियुक्ति की अनुमति है, जिस पर अदालत ने हां कहा।

विजयन ने कहा, “यह माना गया कि 1996 के विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत प्रदान की गई 60 वर्ष की बाहरी आयु सीमा, कुलपति की पुनर्नियुक्ति के मामले में लागू नहीं होगी। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि पुनर्नियुक्ति के लिए 1996 के अधिनियम की धारा 10 में निर्धारित नियुक्ति प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक नहीं है।”

मुख्यमंत्री ने दावा किया कि विषय पर उच्च शिक्षा मंत्री के कार्यालय को महाधिवक्ता से कानूनी सलाह प्राप्त हुई और उसे राजभवन को सौंप दिया गया।

विजयन ने कहा, “कुलाधिपति ने स्पष्टीकरण मांगा और मुख्यमंत्री कार्यालय ने इसे राज्यपाल को दे दिया। वह इसे बाहरी हस्तक्षेप मानते हैं।”

उन्होंने दोहराया कि राज्य सरकार ने कुलाधिपति के रूप में राज्यपाल के अधिकार में किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया है।

बृहस्पतिवार को फैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद, खान ने मुख्यमंत्री विजयन पर कुलपति को फिर से नियुक्त करने के लिए दबाव डालने का आरोप लगाया था।

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