वजन घटाने और दिल को सेहतमंद में मददगार है वीगन खाना
हाल में हुए अध्ययन से पता चला है कि वजन कम करने और दिल को सेहतमंद रखने में वीगन खाने से काफी मदद मिलती है.
हाल में हुए अध्ययन से पता चला है कि वजन कम करने और दिल को सेहतमंद रखने में वीगन खाने से काफी मदद मिलती है. साथ ही, इस अध्ययन के दौरान कई दिलचस्प नतीजे भी मिले हैं.हाल ही में एक जैसे जुड़वां बच्चों के 22 जोड़े पर अध्ययन किया गया. इसमें पाया गया कि सर्वाहारी लोगों की तुलना में वीगन खाना खाने वाले लोगों का हृदय ज्यादा स्वस्थ रहता है. शोधकर्ताओं ने जुड़वां बच्चों के एक समूह को आठ हफ्ते तक सर्वाहारी भोजन दिया और दूसरे समूह को वीगन खाना. यह पेपर 30 नवंबर को जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में प्रकाशित हुआ है.
पहले चार हफ्तों के दौरान, जुड़वां बच्चों को तैयार भोजन परोसा गया. अंतिम चार हफ्ते में, उन्हें आहार विशेषज्ञ की मदद से अपना भोजन खुद तय करने का विकल्प दिया गया. साथ ही, उन्हें अध्ययन की अवधि के दौरान भोजन से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करने के लिए कहा गया था.
दोनों तरह के भोजन में अलग-अलग तरह की सब्जियां, फल और साबुत अनाज शामिल थे. सिर्फ एक अंतर यह था कि सर्वाहारी भोजन में मांस, मछली, चिकन, अंडा, पनीर वगैरह भी शामिल था.
परीक्षण की अवधि के अंत तक, वीगन खाना खाने वाले बच्चों में कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल-सी) का स्तर कम था. दरअसल, एलडीएल-सी को ‘खराब' कोलेस्ट्रोल कहा जाता है, क्योंकि यह धमनियों में रुकावट पैदा कर सकता है.
सामान्य तौर पर, एक स्वस्थ शरीर में एलडीएल-सी का स्तर 100 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से कम होना चाहिए. परीक्षण की शुरुआत में, वीगन खाना खाने वालों में एलडीएल-सी का औसत स्तर 110.7 था, जो परीक्षण के अंत तक कम होकर 95.5 पर पहुंच गया. जबकि, सर्वाहारी लोगों में शुरुआत में यह 118.5 था, जो अंत तक 116.1 तक बना रहा. जब दोनों समूहों के शुरुआती कोलेस्ट्रॉल के स्तर में अंतर के बारे में पूछा गया, तो अध्ययन के लेखक क्रिस्टोफर गार्डनर ने कहा कि यह महज संयोग था.
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि परीक्षण के अंत तक वीगन आहार लेने वालों में भूखे पेट, सर्वाहारी लोगों के मुकाबले इंसुलिन का स्तर कम था और उनका वजन औसतन 4.2 पाउंड अधिक कम हुआ.
जुड़वां बच्चों को परीक्षण में शामिल करने की वजह
वीगन आहाब से होने वाले फायदों को लेकर किए जाने वाले अध्ययन, किसी प्रतिभागी के सामाजिक वातावरण या आनुवंशिकी से संबंधित वजहों के कारण जटिल हो सकते हैं. इसलिए, एक जैसे जुड़वां बच्चों पर अध्ययन करने से नतीजे काफी हद तक सटीक मिल सकते हैं.
अध्ययन के दौरान, सर्वाहारी भोजन में पशुओं से मिलने वाले उत्पादों को शामिल करने के अलावा अन्य सभी तरह की भोजन सामग्री एक जैसी रखी गई थी. इस दौरान इस बात का भी ध्यान रखा गया कि सभी वीगन भोजन स्वस्थ नहीं होते हैं. अध्ययन में इस बात की बारीकी से निगरानी की गई कि प्रतिभागियों ने क्या खाया.
किंग्स कॉलेज लंदन में पोषण और आहार विशेषज्ञ प्रोफेसर टॉम सैंडर्स ने कहा, "वीगन आहार इस बात से तय किया जाता है कि इसमें क्या शामिल नहीं है, बजाय इसके कि क्या खाया जाता है. वीगन खाना अच्छा और बुरा, दोनों तरह का होता है. उदाहरण के लिए, खराब वीगन आहार में विटामिन बी12 की कमी होगी. साथ ही वसा, नमक और चीनी की मात्रा अधिक होगी.” हालांकि, प्रोफेसर टॉम इस अध्ययन में शामिल नहीं थे.
भोजन के मामले में संतुष्टि
इस अध्ययन में कुछ जटिलताएं भी थीं. सैंपल साइज काफी छोटा था. शोधकर्ताओं ने यह भी नोट किया कि वीगन आहार में सर्वाहारी लोगों के मुकाबले प्रति दिन लगभग 200 कैलोरी की कमी थी.
एस्टन विश्वविद्यालय में आहार विशेषज्ञ और वरिष्ठ व्याख्याता डुआने मेलोर ने कहा, "वजन और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल कम होने की शायद एक वजह यह भी हो सकती है. ऐसा इसलिए हो सकता है कि वीगन लोग दिए जा रहे भोजन से पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे. इसे अध्ययन में साफ तौर पर बताया गया है.” मेलोर भी इस अध्ययन में शामिल नहीं थे.
अध्ययन में कहा गया है, "वीगन आहार लेने वाले बच्चे, अध्ययन शुरू होने से पहले की तुलना में, चौथे और आठवें सप्ताह में अपने भोजन से पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे. जबकि, सर्वाहारी भोजन करने वालों में खाने को लेकर संतुष्टि बढ़ी या पहले की तरह बनी रही.”
इन आलोचनाओं के बारे में पूछे जाने पर अध्ययन के मुख्य लेखक और अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में पोषण अध्ययन के प्रोफेसर क्रिस्टोफर गार्डनर ने डीडब्ल्यू को बताया कि कैलोरी की कमी अध्ययन के तरीके की वजह से नहीं है, बल्कि इसलिए है कि वीगन प्रतिभागियों ने पहले चार हफ्ते में परोसे गए पूरे भोजन को नहीं खाया. दोनों समूहों के प्रतिभागियों को एक समान कैलोरी दी गई. वीगन समूह के प्रतिभागियों ने खाना कम खाया.”
गार्डनर ने एक्स पर पोस्ट किए गए स्पष्टीकरण में कहा, "वीगन भोजन में सीमित विकल्प हैं. मुझे लगता है कि वीगन आहार पर रहने वाले लोगों को मछली, अंडे या दही खाने की इच्छा रही होगी, लेकिन इन्हें खाने की मनाही थी. उन्हें ज्यादा सब्जियां और बीन्स खाने में कोई दिलचस्पी नहीं थी.”
एस्टन विश्वविद्यालय के मेलोर कहते हैं कि रिपोर्ट में संतुष्टि के जिस स्तर की बात की गई है उससे पता चलता है कि अगर लोगों को स्वस्थ भोजन का सेवन करना है, तो यह उनकी प्राथमिकताओं पर आधारित होना चाहिए. न कि भोजन के किसी विशेष तरीके, स्वास्थ्य पेशेवर या ऑनलाइन इंफ्लूएंसर से प्रभावित होकर.
इस अध्ययन के नतीजे को वास्तविक दुनिया में लागू करने के बारे में पूछे जाने पर, वीगन खाने वालों की असंतुष्टि को देखते हुए गार्डनर ने सहमति जताई कि अगर किसी को किसी तरह के भोजन से संतुष्टि नहीं मिल पा रही है, तो लंबे समय तक वैसा भोजन करना मुश्किल होगा.
उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "ऐसा हो सकता है कि समय के साथ कोई व्यक्ति फिर से उसी तरह का भोजन करना शुरू कर दे, जो उसे पसंद हो. इन अध्ययनों को एक साल, पांच साल और 10 साल तक जारी रखना अच्छा होगा. तब हमें बेहतर नतीजे मिलेंगे. हालांकि, अधिकांश लोग इस तरह के अध्ययन में कुछ ही महीनों के लिए शामिल होना चाहते हैं.”
वहीं, इस अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि जुड़वां बच्चों में जिन लोगों को वीगन भोजन दिया गया था, उनमें से 91 फीसदी ने कहा कि वे इस परीक्षण के दौरान सीखी गई आदतों को अपने सामान्य जीवन में बनाए रखना चाहते हैं. जबकि, जिन बच्चों ने सभी तरह के भोजन का सेवन किया, उनमें से महज 67 फीसदी बच्चे ही इस आदत को बनाए रखना चाहते हैं.