देश की खबरें | उत्तराखंड 2021: महामारी और प्राकृतिक आपदाओं ने खड़ी की मुसीबत
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उत्तराखंड में इस महीने बुलंद हुए राजीतिक बगावत के सुर से भाजपा और कांग्रेस हिल गई हैं। लेकिन यह राज्य में इस साल पूर्व में आए उन झटकों की तुलना में कुछ भी नहीं है जब दो मुख्यमंत्रियों को बाहर का रास्ता देखना पड़ा और कुंभ मेले से कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के आरोप लगे तथा अचानक आई बाढ़ से 200 लोगों की मौत हो गई।
देहरादून, 29 दिसंबर उत्तराखंड में इस महीने बुलंद हुए राजीतिक बगावत के सुर से भाजपा और कांग्रेस हिल गई हैं। लेकिन यह राज्य में इस साल पूर्व में आए उन झटकों की तुलना में कुछ भी नहीं है जब दो मुख्यमंत्रियों को बाहर का रास्ता देखना पड़ा और कुंभ मेले से कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के आरोप लगे तथा अचानक आई बाढ़ से 200 लोगों की मौत हो गई।
इस वर्ष उच्चतम न्यायालय ने चार धाम तीर्थ स्थलों के लिए सड़कों को चौड़ा करने के लिए केंद्र को मंजूरी दे दी और साथ ही पुजारियों ने प्रमुख मंदिरों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से गठित राज्य बोर्ड की स्थापना के खिलाफ लड़ाई जीत ली।
इसके साथ ही 150 साल पहले पेशावर के पठानों द्वारा तिब्बत जाने वाले मार्ग पर उत्तरकाशी में 11,000 फुट की ऊंचाई पर बनाए गए लकड़ी के पुल गरतांग गली का भी इस साल जीर्णोद्धार किया गया और चार धामों के पुराने, पारंपरिक ट्रेकिंग मार्गों को फिर से खोजा गया।
राज्य ने वर्ष के दौरान मुख्यमंत्री पद पर एक के बाद एक फेरबदल देखा।
अपने कार्यकाल के चार साल का जश्न मनाने की तैयारी कर रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत को भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने ऐसे समय हटा दिया जब राज्य 2022 की शुरुआत में विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी कर रहा है।
पौड़ी गढ़वाल के सांसद तीरथ सिंह रावत को मार्च में अचानक त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह लाया गया। अपने कार्यकाल के कुछ ही दिनों में, नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह ने ‘रिप्ड जींस’ पहनने वाली महिलाओं पर अपनी एक टिप्पणी से विवाद खड़ा कर दिया और यह भी कहा कि भारत पर 200 साल से अधिक वर्ष तक ‘अमेरिका का शासन’ था।
तीरथ सिंह को पदभार ग्रहण करने के चार महीने से भी कम समय में पद से हटा दिया गया और उनकी जगह खटीमा से विधायक पुष्कर सिंह धामी को भाजपा आलाकमान ने नया मुख्यमंत्री बनाया।
कांग्रेस के दिवंगत नेता एनडी तिवारी को छोड़कर उत्तराखंड के किसी भी मुख्यमंत्री ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है। लेकिन तीरथ सिंह रावत ने सबसे छोटे कार्यकाल के साथ एक तरह का रिकॉर्ड बनाया। वह ऐसे समय मुख्यमंत्री थे जब सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के बीच हरिद्वार में कुंभ मेले को भव्य पैमाने पर आयोजित करने के अपने विवादास्पद फैसले को आगे बढ़ाया।
कुंभ के दौरान कोविड रोधी नियमों का खुले तौर पर उल्लंघन देखने को मिला और श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते भौतिक दूरी बनाकर रखना लगभग असंभव हो गया। शाही स्नान के दिनों के बाद संक्रमण बढ़ गया।
इस पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेला संपन्न करने के लिए "अखाड़ों" से अपील की।
बाद में, एक कोविड परीक्षण घोटाला सामने आया। नोएडा स्थित एक निजी प्रयोगशाला ने कथित तौर पर श्रद्धालुओं पर एक लाख नकली कोविड परीक्षण किए। विशेष जांच दल द्वारा जांच के बाद प्रयोगशाला मालिकों को गिरफ्तार किया गया।
कोविड की वजह से लगातार दूसरे वर्ष गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की चारधाम यात्रा पर प्रभाव पड़ा।
तीर्थयात्रा महीनों की देरी से शुरू हुई लेकिन जैसे ही कोविड की लहर थमी और प्रतिबंध हटे, वार्षिक यात्रा ने गति पकड़ ली। इस साल पांच लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने मंदिरों में दर्शन किए।
पुजारियों के दबाव में, चार धाम सहित 51 मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के लिए विवादास्पद उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड अधिनियम को वापस ले लिया गया। पुजारियों ने कानून को अपने पारंपरिक अधिकारों का उल्लंघन करार दिया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण करने के लिए केदारनाथ का दौरा किया और 2013 में भूस्खलन तथा बाढ़ से तबाह हुए क्षेत्र के पुनर्निर्माण के दूसरे चरण की आधारशिला रखी।
उत्तराखंड के लिए साल 2021 भी प्राकृतिक आपदा लेकर आया। फरवरी में चमोली जिले में एक ग्लेशियर टूट गया, जिससे ऋषि गंगा और धौली गंगा नदियों में अचानक बाढ़ आ गई। इसके चलते कई टन मलबा गिरने से रैनी गांव में 13.2 मेगावाट की ऋषि गंगा जलविद्युत परियोजना और एनटीपीसी की 520 मेगावाट की तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा और वहां काम कर रहे लोग एक सुरंग में फंस गए।
इस घटना में कुल मिलाकर, 204 लोग लापता हो गए। अवरुद्ध सुरंग से केवल 81 शव और 36 मानव अंग मिले।
नवंबर में, एक दूसरी आपदा आई। लगातार तीन दिन तक हुई बारिश से गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में घरों, सड़कों, पुलों और रेलवे पटरी को भारी नुकसान हुआ तथा इसमें ट्रेकर्स समेत करीब 80 लोग मारे गए।
राज्य ने देश के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) और उत्तराखंड के मूल निवासी जनरल बिपिन रावत को श्रद्धांजलि दी। इसने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के 50 वर्ष पूरे होने पर शहीदों को भी याद किया।
राज्य में जब विधानसभा चुनाव अब कुछ ही हफ्ते दूर हैं, राजनीतिक दलों की नजर प्रदेश के सैन्य परिवारों के मतदाताओं पर है।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जहां देहरादून में स्मारक निर्माण के लिए शहीदों के घरों के प्रांगणों से मिट्टी इकट्ठा करने का भावनात्मक अभियान चलाया तो वहीं कांग्रेस ने पार्टी नेता राहुल गांधी की मौजूदगी में एक रैली में पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया।
आम आदमी पार्टी, जो खुद को कांग्रेस और भाजपा के विकल्प के रूप में पेश कर रही है, पहले ही सेवानिवृत्त सेना अधिकारी अजय कोठियाल को अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में पेश कर चुकी है।
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