नयी दिल्ली, 21 जुलाई मणिपुर हिंसा, दिल्ली के सेवा मामले पर अध्यादेश के अदालत में विचाराधीन होने के बावजूद सरकार द्वारा उसके स्थान पर विधेयक लाए जाने और सदन की कार्यवाही से कुछ अंशों को हटा देने के मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही शुक्रवार को एक बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
ढाई बजे जैसे ही दोबारा सदन की बैठक शुरु हुई सभापति जगदीप धनखड़ ने दिल्ली के उपराज्यपाल को शक्तियां प्रदान करने के प्रावधान वाले ‘राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक’ का जिक्र किया। इसी समय संजय सिंह सहित आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्यों ने इसका विरोध किया और इस कदम को ‘गैर संवैधानिक’ बताया।
कार्यवाही आरंभ होने के एक मिनट के भीतर ही धनखड़ ने सदन की बैठक सोमवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले सुबह जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ हुई, सभापति जगदीप धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए और उसके बाद उन्होंने सदस्यों को बृहस्पतिवार को कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में विधेयकों पर चर्चा के लिए आवंटित समय के बारे में बताया।
इस दौरान उन्होंने ‘राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक’ का जिक्र किया। आम आदमी पार्टी (आप) ने इसका विरोध किया और कहा कि इस ‘गैर संवैधानिक’ विधेयक पर सदन में चर्चा नहीं की जा सकती।
भारत राष्ट्र समिति के के केशव राव ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि मामला अदालत के विचाराधीन है, ऐसे में इस विधेयक पर चर्चा नहीं हो सकती। उन्होंने इस बारे में सभापति से जानकारी भी मांगी कि क्या ऐसा हो सकता है?
सभापति ने इस पर कहा कि यह भ्रम है कि इस मुद्दे पर चर्चा नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि इस सदन को किसी भी मुद्दे पर चर्चा कराने का अधिकार है।
इस दौरान विरोध कर रहे आप नेताओं से धनखड़ ने कहा, ‘‘मैं नियमों के अनुसार सभी को समय देता हूं। यह उच्च सदन है। हमारे आचरण को लोग देख रहे हैं। हमें अपने आचरण में अनुकरणीय होना होगा ताकि हमारी सराहना की जा सके। यह कोई सार्वजनिक सड़क नहीं है। यह कोई मंच नहीं है।’’
इसके बावजूद जब आप के सांसदों ने विरोध जारी रखा, तो उन्होंने उनसे संविधान पढ़ने और मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए कहा।
उन्होंने कहा, ‘‘जानकारी हासिल की जानी चाहिए ताकि लोग हम पर हंसें नहीं। जो असंवैधानिक है वह एक शब्द में नहीं है, यही कारण है कि आपको अध्ययन करने की आवश्यकता है।’’
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को दिल्ली में सेवा मामले संबंधी अध्यादेश के खिलाफ एक याचिका को पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेज दिया।
धनखड़ ने जवाब देते हुए कहा कि संविधान बहुत ही ‘योग्य तरीके’ से सदन में चर्चा पर रोक लगाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस सदन को एक प्रतिबंध के साथ इस ग्रह पर हर चीज पर चर्चा करने का अधिकार है।’’ उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 121 उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के किसी भी न्यायाधीश के अपने कर्तव्यों के निर्वहन में आचरण पर संसद में चर्चा पर प्रतिबंध लगाता है।
उन्होंने कहा कि इस नियम को छूट तब मिली है जब सदन न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रहा हो।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए अदालत में विचाराधीन होने की अवधारणा पूरी तरह से गलत है।’’ लेकिन सभापति की इस टिप्पणी के बावजूद आप सांसदों ने विरोध जारी रखा।
धनखड़ ने संजय सिंह से कहा कि अगर वह अपनी सीट पर नहीं बैठते हैं तो उनका नाम लेना पड़ सकता है। सभापति द्वारा नामित सांसद को शेष दिन के लिए सदन की कार्यवाही से हटना पड़ता है।
उन्होंने आप के ही राघव चड्ढा को भी इसी तरह की सलाह दी।
धनखड़ ने कहा, ‘‘आपकी सीट पर कोई दिक्कत है क्या जो बार-बार इधर से उधर आ-जा रहे हैं।’’
इसी बीच, कांग्रेस के उपनेता प्रमोद तिवारी ने मणिपुर हिंसा का मुद्दा उठाया। इसके समर्थन में अन्य विपक्षी सदस्यों ने इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की।
तिवारी अभी यह मुद्दा उठा ही रहे थे कि सभापति ने तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ’ब्रायन को व्यवस्था का प्रश्न उठाने का समय दिया।
डेरेक ने बृहस्पतिवार को सदन की कार्यवाही से उनके संबोधन के अंशों को हटाए जाने का मामला उठाया। उन्होंने कहा, ‘‘तीन शब्दों को कार्यवाही से हटा दिया गया। कल हमने कहा था कि प्रधानमंत्री को मणिपुर पर अपना मुंह खोलना चाहिए।’’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘माननीय प्रधानमंत्री (शब्द) को हटाया गया। मणिपुर (शब्द) को हटा दिया गया। क्यों?’’ उन्होंने यह जानना चाहा कि क्या इनमें से कोई शब्द संसदीय कार्यवाही के लिए उपयुक्त नहीं है।
हालांकि इस दौरान सभापति उनसे पूछते रहे कि वह किस नियम के तहत व्यवस्था का प्रश्न उठाना चाहते हैं, वह स्पष्ट करें।
इसके बाद सदन में शोरगुल व हंगामा आरंभ हो गया।
हंगामा थमते न देख सभापति धनखड़ ने 11 बजकर 18 मिनट पर सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजकर 30 मिनट तक के लिए स्थगित कर दी।
मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मणिपुर मुद्दे पर संसद में बयान नहीं देने और दिल्ली के सेवा मामले पर अध्यादेश के अदालत के विचाराधीन होने के बावजूद सरकार द्वारा उसके स्थान पर विधेयक लाए जाने के विरोध में विपक्षी दलों के कई नेताओं ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक का बहिष्कार किया था।
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ द्वारा लिखित में विपक्षी नेताओं का विरोध दर्ज नहीं किए जाने के बाद कांग्रेस, वाम दलों, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, राजद, राकांपा और आप सहित अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने बीएसी की बैठक से बहिर्गमन किया।
भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने भी बहिर्गमन में उनका साथ दिया।
ब्रजेन्द्र
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