देश की खबरें | उपहार सिनेमा अग्निकांड : साक्ष्य से छेड़छाड़ मामले के दोषी की याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब तलब

नयी दिल्ली, 19 अक्टूबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को अंसल परिवार के एक पूर्व कर्मचारी की उस याचिका पर राजधानी पुलिस से जवाब मांगा, जिसमें 1997 के उपहार सिनेमा अग्निकांड के सबूतों से छेड़छाड़ के मामले में उसकी दोषसिद्धि और सजा को रद्द करने की मांग की गई थी।

न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने नोटिस जारी किया और दिल्ली पुलिस से पीपी बत्रा की याचिका पर जवाब देने को कहा।

बत्रा इस मामले में पहले ही अपनी जेल की सजा पूरी कर चुके हैं। उपहार सिनेमा में भीषण आग लगने की घटना 13 जून, 1997 को हुई थी, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गयी थी।

बत्रा के अलावा, थिएटर के मालिक 83-वर्षीय सुशील अंसल ने भी अपनी दोषसिद्धि एवं सजा रद्द कराने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

उच्च न्यायालय ने 11 अक्टूबर को बत्रा के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था, क्योंकि सबूतों से छेड़छाड़ मामले में दोषियों की सजा बढ़ाने की पीड़ितों की याचिका पर सुनवाई के दौरान न तो बत्रा और न ही उनकी ओर से कोई वकील अदालत में मौजूद था।

एक मजिस्ट्रेट अदालत ने आठ नवंबर, 2021 को अंसल बंधुओं- सुशील और गोपाल अंसल- को सात साल जेल की सजा सुनाई थी।

जिला न्यायाधीश ने इस वर्ष 19 जुलाई को सजा पर मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को संशोधित किया था और अंसल बंधुओं सुशील और गोपाल अंसल, अदालत के पूर्व कर्मचारी दिनेश चंद्र शर्मा और अंसल के तत्कालीन कर्मचारी बत्रा को उनकी पहले ही काट ली गयी जेल की सजा से समायोजित करते हुए रिहा करने का आदेश दिया था।

अदालत ने इसने सुशील और गोपाल अंसल पर तीन-तीन करोड़ रुपये, बत्रा पर 30,000 रुपये और शर्मा पर 60,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

बत्रा ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली अपनी आपराधिक पुनरीक्षण याचिका में दलील दी है कि कानून और मामले के तात्कालिक तथ्यों के मल्यांकन के स्पष्ट अभाव में आदेश यांत्रिक तरीके से पारित किया गया है।

उन्होंने कहा कि कथित साजिश में उनकी संलिप्तता दिखाने के लिए ज़रा भी सबूत नहीं है।

निचली अदालत ने अंसल बंधुओं की दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए सह-आरोपी अनूप सिंह को बरी कर दिया था।

यह मामला मुख्य मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ से संबंधित है जिसमें अंसल बंधुओं को दोषी ठहराया गया था और न्यायालय ने दो साल की जेल की सजा सुनाई थी।

बीस जुलाई 2002 को पहली बार छेड़छाड़ का पता चला और दिनेश चंद्र शर्मा के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई तथा 25 जून 2004 को उन्हें निलंबित कर दिया गया और बाद में सेवा समाप्त कर दी गयी।

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