ओलेह इतसेन्को (29) और एंद्रिल कुजनेतस्कोव (23) पौ फटते ही कब्रों की खुदाई में लग जाते हैं और सूरज छिपने तक इस काम में लगे रहते हैं।
कुजनेतस्कोव ने कभी नहीं सोचा था कि उसे यह काम करना पड़ेगा। उसके पास प्रौद्योगिकी की स्नातक डिग्री है। उसने कहा कि उसके पास कोई काम नहीं था और उसे पैसों की सख्त जरूरत थी।
कीव से करीब 400 किलोमीटर दूर इस शहर के मुख्य कब्रिस्तान में आज चार सैनिकों को दफन किया जाएगा।
धातुओं से जुड़े कारोबार में श्रमिक रहे इतसेन्को ने कहा, ‘‘यह मुश्किल है। लेकिन किसी को तो यह करना पड़ेगा।’’
युद्ध शुरू होने पर इतसेन्को को अपना काम छोड़ना पड़ा था। उसे पता चला कि स्थानीय कब्रिस्तान में खुदाई करने वालों की जरूरत है। उसके पास कोई और विकल्प नहीं था और उसने बिना सोचे यह काम अपना लिया।
यूक्रेन में रोजाना सैनिकों को सुपुर्दे खाक किया जाता है और कई बार तो दिन में अनेक बार ऐसा करना पड़ता है।
अधिकारियों का अनुमान है कि पिछले साल शुरू हुए रूस के हमलों के बाद से अब तक कम से कम एक लाख यूक्रेनी सैनिक मारे गये हैं या घायल हो गये हैं।
एपी वैभव पवनेश
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