जरुरी जानकारी | चीन से बाहर जा रही कंपनियों को आकर्षित करने के लिए दो-तीन साल का समय: नीति सीईओ
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. चीन से जुड़े जोखिमों को कम करने की वैश्विक रणनीति से लाभ उठाने के लिए भारत के पास दो-तीन साल का समय है। नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी बीवीआर सुब्रमण्यम ने शुक्रवार को यह बात कही।
नयी दिल्ली, आठ दिसंबर चीन से जुड़े जोखिमों को कम करने की वैश्विक रणनीति से लाभ उठाने के लिए भारत के पास दो-तीन साल का समय है। नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी बीवीआर सुब्रमण्यम ने शुक्रवार को यह बात कही।
उन्होंने साथ ही कहा कि सरकार को ऐसी नीतियां तैयार करते समय बहुत सतर्क रहने की जरूरत है, जो भारत में कंपनियों के स्थानांतरण को आकर्षक और आसान बनाती हैं।
सीआईआई वैश्विक आर्थिक मंच 2023 को संबोधित करते हुए सुब्रमण्यम ने कहा कि भू-राजनीतिक स्थिति और देश में कामकाजी उम्र की युवा आबादी के कारण भारत एक अच्छी स्थिति में है।
उन्होंने कहा, ''इसलिए मुझे लगता है कि अगले 15 से 20 वर्षों में, भारत के पास विनिर्माण क्षेत्र में अवसर है। लेकिन, इसकी शुरुआत के लिए अधिकतम दो से तीन साल का वक्त है, क्योंकि आपूर्ति श्रृंखलाएं खुल रही हैं और वे छोटी होती जा रही हैं। उन्हें नए स्थान की तलाश है।''
सुब्रमण्यम ने कहा कि यह दो-तीन साल की घटना होगी और फिर आपूर्ति श्रृंखलाएं स्थिर हो जाएंगी।
सुब्रमण्यम ने कहा कि केवल गैर-चीनी कंपनियां ही नहीं, बल्कि चीनी कंपनियां भी श्रम की कमी के कारण चीन से बाहर जाना चाहती हैं।
उन्होंने कहा, ''चीन में मांग की कमी है, क्योंकि वहां उम्र के हिसाब से जनसंख्या में बदलाव, श्रम आपूर्ति की कमी, श्रम की बढ़ती लागत और दबाव में फंसा पूंजी बाजार हैं।''
नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि ऐसे में अगर वैश्विक व्यापार कुल मिलाकर नहीं बढ़ता है, तो भी यह एक जगह से दूसरी जगह में स्थानांतरित हो सकता है। भारत अल्पावधि में इसका लाभ उठा सकता है।
उन्होंने कहा कि चीन से कंपनियों को आकर्षित करने के लिए भारत को वियतनाम, इंडोनेशिया, तुर्की, मेक्सिको और बांग्लादेश के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)