कई वैज्ञानिकों के अनुसार, अगर दुनिया भविष्य के वैश्विक ताप को एक डिग्री के दसवें हिस्से से कुछ ज्यादा तक सीमित कर सकती है और अंतरराष्ट्रीय लक्ष्यों को हासिल कर सकती है जो तकनीकी रूप से संभव है लेकिन इसके आसार कम दिख रहे हैं, तो दुनिया के आधे से कम ग्लेशियर ही गायब होंगे. अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि ज्यादातर छोटे लेकिन जाने-पहचाने ग्लेशियर विलुप्त होने की कगार पर हैं. उन्होंने कहा कि तापमान के कई डिग्री तक बढ़ने की सबसे खराब स्थिति में दुनिया के 83 प्रतिशत ग्लेशियर 2100 के अंत तक विलुप्त हो सकते हैं.
पत्रिका ‘साइंस’ में बृहस्पतिवार को प्रकाशित इस अध्ययन में दुनिया के 2,15,000 जमीन आधारित ग्लेशियर का अध्ययन किया गया है. इनमें ग्रीनलैंड और अंर्टाकटिक में बर्फ की चादर पर बने ग्लेशियर शामिल नहीं हैं. वैज्ञानिकों ने विभिन्न स्तर की ताप वृद्धि का इस्तेमाल कर कम्प्यूटर सिमुलेशन के जरिए यह पता लगाया कि कितने ग्लेशियर विलुप्त हो जाएंगे, कितनी टन बर्फ पिघलेगी और इससे समुद्र का स्तर कितना बढ़ेगा. यह भी पढ़ें : Ghulam Nabi Azad Loyalists Rejoin Congress: जम्मू-कश्मीर के 17 नेताओं ने छोड़ा आजाद का साथ, कांग्रेस में शामिल
Massive debris flow in a glacial stream in Gulmit Village of Gojal Valley, Hunza. Flood has been coming from the nearby Shutubar Glacier for the last two days, piling up debris, damaging bridges, roads, trees and orchards. No loss of life reported. #ClimateCrisis #ClimateChange pic.twitter.com/0Tg5ZE6Dfr
— PAMIR TIMES ® (@pamirtimes) July 2, 2022
दुनिया अब पूर्व-औद्योगिक युग के बाद से 2.7 डिग्री सेल्सियस ताप वृद्धि की राह पर है जिससे साल 2100 तक दुनिया के 32 प्रतिशत ग्लेशियर विलुप्त हो जाएंगे. वैज्ञानिकों का कहना है कि भविष्य में समुद्र का स्तर ग्लेशियर के मुकाबले बर्फ की चादर पिघलने से ज्यादा बढ़ेगा