विदेश की खबरें | पाकिस्तान में दो समाचार चैनलों के प्रसारण पर तीन दिन के लिए रोक लगाई गई

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. पाकिस्तान की, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर नजर रखने वाली संस्था ने सीधे दिखाए जाने वाले (लाइव) भाषणों पर नियंत्रण के लिए दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने को लेकर दो समाचार चैनलों ‘एआरवाई न्यूज’ और ‘बोल न्यूज’ के प्रसारण पर तीन दिन की रोक लगा दी है।

श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

इस्लामाबाद, 16 सितंबर पाकिस्तान की, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर नजर रखने वाली संस्था ने सीधे दिखाए जाने वाले (लाइव) भाषणों पर नियंत्रण के लिए दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने को लेकर दो समाचार चैनलों ‘एआरवाई न्यूज’ और ‘बोल न्यूज’ के प्रसारण पर तीन दिन की रोक लगा दी है।

 पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी (पीईएमआरए) ने बृहस्पतिवार को जारी एक बयान में कहा कि दोनों टीवी चैनलों ने समय संबंधी प्रभावी मानक ‘टाइम डिले मैकेनिज्म’ का पालन किए बिना प्रसारण जारी रखकर, इस संबंध में दिए गए दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है।

पीईएमआरए ने बयानों और भाषणों को संपादित करने के लिए एक प्रणाली बनाने के अपने पिछले बयान का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों चैनलों ने आदेशों का उल्लंघन किया है।

बयान में कहा गया है, “लिखित जवाब और मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए, दोनों चैनलों के प्रसारण को तीन दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है और सभी केबल ऑपरेटरों को निर्णय के बारे में सूचित किया जा चुका है।”

संस्था ने यह भी कहा कि दोनों टीवी चैनलों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से तलब किया गया, हालांकि उन्होंने जवाब दाखिल किया और सुनवाई के दौरान पेश नहीं हुए।

इससे पहले, संस्था ने 5 सितंबर को सभी टीवी चैनलों को सरकारी संस्थानों के खिलाफ किसी भी सामग्री को प्रसारित करने के लिए सख्त कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी थी और इस संबंध में कार्रवाई से बचने के लिए ‘टाइम डिले मैकेनिज्म’ को लागू करने की अपील की थी।

संस्था ने कहा था, “यह देखा गया कि सैटेलाइट टीवी चैनल किसी सार्वजनिक सभा और उसमें दिए गए भाषणों को कवरेज देते समय बिना किसी संपादकीय नियंत्रण के अनुचित या आपत्तिजनक विचारों का प्रसारण करते हैं। वे प्रभावी टाइम डिले मैकेनिज्म का उपयोग करें, जिनके जरिए ऐसे अवांछित विचारों या बयानों को हटाया सकता है जिनसे सरकारी संस्थानों की बदनामी होती है या उनकी छवि पर असर पड़ता है।”

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