देश की खबरें | ईआरसीपी पर त्रिपक्षीय समझौता राजस्थान और मध्य प्रदेश दोनों के लिए लाभकारी: मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना (ईआरसीपी) को लेकर किए गए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया है।

जयपुर, दो फरवरी राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना (ईआरसीपी) को लेकर किए गए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया है।

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय से बहुप्रतीक्षित ईआरसीपी का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

एक सरकारी बयान में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरगामी सोच से फलीभूत हुए इस एमओयू से दोनों ही प्रदेशों को लाभ होगा जिसका सीधा फायदा राजस्थान और मध्य प्रदेश के किसानों एवं आमजन को होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना के मूर्त रूप लेने के पश्चात पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में पेयजल उपलब्ध हो सकेगा और सिंचित क्षेत्र में वृद्धि होने से फसल उत्पादन, किसानों की आय और खुशहाली बढ़ेगी।

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पूर्व में ईआरसीपी के संबंध में दायर की गई याचिका इस आधार पर निस्तारित कर दी कि संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना के त्रिपक्षीय एमओयू पर हस्ताक्षर हो चुके हैं।

नयी दिल्ली में गत 28 जनवरी, 2024 को केन्द्र, राजस्थान एवं मध्यप्रदेश सरकार के बीच परियोजना की संयुक्त डीपीआर बनाने के लिए यह त्रिपक्षीय एमओयू किया गया था।

ईआरसीपी के तहत पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर एवं टोंक में पेयजल उपलब्ध होगा। इसके अतिरिक्त, राज्य के 2,80,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।

बयान के मुताबिक इस परियोजना से 13 जिलों के लगभग 25 लाख किसान परिवारों को सिंचाई जल एवं राज्य की लगभग 40 प्रतिशत आबादी को पेयजल उपलब्ध हो सकेगा। साथ ही, भूजल के स्तर में भी वृद्धि होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना से कृषि उत्पादन में वृद्धि होने से किसानों की आय बढ़ेगी और रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। ईआरसीपी के तहत आने वाले क्षेत्रों में औद्योगिक आवश्यकताओं के लिए भी पानी उपलब्ध हो सकेगा।

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