नयी दिल्ली, 29 अगस्त : केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि ‘ट्रांसजेंडर जन (अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019’ द्वारा जारी ‘पहचान प्रमाणपत्र’ को पैन कार्ड के आवेदन के लिए वैध दस्तावेज माना जाएगा. न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्ला की पीठ ने कहा कि भारत सरकार ने सैद्धांतिक रूप से इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया है और केंद्र सरकार स्पष्टता लाने के लिए इसे नियमों में और आदेश में शामिल करने पर विचार कर सकती है.
पीठ ने कहा, ‘‘इस याचिका के लंबित रहने के दौरान, हमने केंद्र सरकार से जवाब मांगा, जो इस मामले में बहुत सहायक रही है और जिसने मोटे तौर पर वर्तमान याचिका में उठाई गई सभी मांगों को स्वीकार कर लिया है. इसमें यह भी शामिल है कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 की धारा 6/7 के तहत जारी किया जाने वाला प्रमाण पत्र स्वीकार्य होगा, अगर यह जिला मजिस्ट्रेट द्वारा दिया जाता है.’’ ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 की धारा 6 और 7 पहचान प्रमाणपत्र और लिंग परिवर्तन से संबंधित है. यह भी पढ़ें : त्रिपुरा बाढ़: सरकार ने पूरे राज्य को प्राकृतिक आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित किया
शीर्ष अदालत एक ट्रांसजेंडर द्वारा 2018 में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनके पैन को आधार से जोड़ने का प्रयास विफल हो गया है क्योंकि पैन कार्ड में आधार कार्ड की तरह ‘तृतीय लिंग’ का विकल्प नहीं है. बिहार की सामाजिक कार्यकर्ता रेशमा प्रसाद ने पैन कार्ड में एक अलग तृतीय लिंग श्रेणी बनाने का निर्देश केंद्र को देने का अनुरोध किया था ताकि उनकी तरह ट्रांसजेंडर लोग अपने पैन कार्ड को आधार से जोड़ सकें.