Black Day: ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने 26 मई को 'काला दिवस' मनाने का किया आह्वान
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के एक संयुक्त मंच ने बृहस्पतिवार 26 मई को 'भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिवस’ मनाने का आह्वान किया है। श्रमिक संघों का यह मंच इस दिन अपनी मांगों के समर्थन में काली पट्टी पहनेगा और काले झंडे फहरायेगा।
नई दिल्ली: दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (Trade Unions) के एक संयुक्त मंच ने बृहस्पतिवार 26 मई को 'भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिवस’ (Black Day) मनाने का आह्वान किया है. श्रमिक संघों का यह मंच इस दिन अपनी मांगों के समर्थन में काली पट्टी पहनेगा और काले झंडे फहरायेगा. कर्मचारी संगठनों के संयुक्त बयान के मुताबिक उसकी मांगों में सभी के लिए मुफ्त टीकाकरण, गरीबों को मुफ्त राशन और 7,500 रुपये प्रति माह दिये जाने, तीन नये कृषि कानूनों को रद्द करने, फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और पिछले साल संसद द्वारा पारित चार श्रम संहिताओं को वापस लेने जैसी मांगे शामिल हैं. इन संहिताओं को अभी तक लागू नहीं किया गया है क्योंकि इनके तहत नियमों को अधिसूचित किया जाना बाकी है.
संयुक्त मंच में शामिल 10 केंद्रीय यूनियनों में- इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एम्प्लॉयड वूमेन्स एसोसिएशन (एसईडब्ल्यूए), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ़ ट्रेड यूनियन्स (एक्टू), लेबर प्रोग्रेसिव फ़ेडरेशन (एलपीएफ) और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) जैसी मुख्य यूनियन शामिल हैं.
कर्मचारी संगठन, सभी के लिए मुफ्त वैक्सीन, सभी स्तरों पर सरकार द्वारा संचालित सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने और सभी असंगठित/अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों और बेरोजगार लोगों को मुफ्त खाद्यान्न और गरीबों को 7,500 रुपये प्रति माह की नकद सब्सिडी के रूप में तत्काल मदद दिये जाने की मांग कर रहे हैं. यह भी पढ़ें: ममता बनर्जी ने पीएम मोदी के साथ बैठक को बताया ‘अपमानजनक’, अधिकारियों ने पश्चिम बंगाल की CM पर लगाया ‘नौटंकी’ करने का आरोप
श्रमिक संगठनों की सरकार से सार्वजनिक उपक्रमों और सरकारी विभागों के निजीकरण/ निगमीकरण की नीति पर रोक लगाने की भी मांग है. उनका कहना है कि भाजपा और उसके सहयोगियों द्वारा शासित राज्यों द्वारा तीन साल की अवधि के लिए 38 श्रम कानूनों के मनमाने निलंबन को वापस लिया जाना चाहिये.
कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि भाजपा और उसके सहयोगियों द्वारा शासित राज्य खुले तौर पर कई अंतरराष्ट्रीय श्रम मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं. 26 मई के दिन काला दिवस मनाने की पृष्ठभूमि बताते हुए, कर्मचारी संगठनों के मंच ने कहा, ‘‘इस दिन वर्ष 2014 और फिर 2019 में 30 मई को नरेंद्र मोदी सरकार ने कामकाज संभाला था. 26 मई वह दिन है जब चलो दिल्ली किसान आंदोलन के छह महीने पूरे होते हैं.
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