आज भारत की छवि राष्ट्रीय सुरक्षा के संरक्षण के लिए किसी हद तक जाने को तैयार देश की है: मंत्री एस जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि आज भारत की छवि ऐसे देश की बन गई है जो अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के संरक्षण के लिये किसी भी हद तक जाने को तैयार हो. विदेश मंत्री ने कहा कि हर देश की अपनी चुनौतियां हैं और कोई चुनौती राष्ट्रीय सुरक्षा से समान महत्व वाली नहीं हो सकती.

नयी दिल्ली, 23 फरवरी : विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने बृहस्पतिवार को कहा कि आज भारत की छवि ऐसे देश की बन गई है जो अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के संरक्षण के लिये किसी भी हद तक जाने को तैयार हो. विदेश मंत्री ने कहा कि हर देश की अपनी चुनौतियां हैं और कोई चुनौती राष्ट्रीय सुरक्षा से समान महत्व वाली नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जिसे न तो बाहर धकेला जा सकता है और न ही वह एक हद से अधिक सीमा को लांघने देगा. सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘फेस्टिवल ऑफ थिंकर्स’ को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षों में हमारी पश्चिमी सीमा पर लंबे समय से परीक्षा ली जा रही है. मैं समझता हूं कि चीजें इस बार थोड़ी अलग हैं और सभी लोग इस बात से सहमत होंगे. कुछ चीजें वर्ष 2016 और 2019 के बीच हुईं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें उत्तरी सीमा पर भी परखा जा रहा है और भारत किस प्रकार से इस परीक्षा से बाहर आयेगा, यह मुकाबला करने की हमारी ताकत को प्रदर्शित करेगा.’’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘आज हमारी छवि एक ऐसे देश की है जो अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के संरक्षण के लिये सबकुछ करने को तैयार है. यह (भारत) काफी संयम रखने वाला देश है और यह ऐसा देश नहीं है जो दूसरों से लड़ता रहता है लेकिन यह ऐसा देश भी नहीं है जिसे बाहर धकेला जा सकता है. यह ऐसा देश है जो एक हद से अधिक सीमा को किसी को लांघने नहीं देगा.’’ यह भी पढ़ें : राज्यपाल का अभिभाषण ‘कट एंड पेस्‍ट’, जमीन पर नहीं उतरीं योजनाएं : अखिलेश यादव

उन्होंने कहा कि चूंकि यह ध्रुवों में विभाजित दुनिया है, ऐसे में देश आपको प्रभावित करने का प्रयास करेंगे, अपना आग्रह रखेंगे, कई बार कड़े शब्दों का प्रयोग करेंगे और ऐसे में आप किस प्रकार से अपने हितों को रखते हैं, ऐसे देशों के हितों को रखते हैं जिनकी ऐसी क्षमता नहीं है, जो आपकी है...यह आज देखा जा सकता है. यूक्रेन संघर्ष का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘इस संघर्ष के कारण जिस प्रकार के दबाव आए, ऐसे क्षण भी आए जब हमारे स्वतंत्र भाव और विश्वास को परखने का प्रयास किया गया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें एक स्वतंत्र और दूसरे के अधिकारों के लिये खड़े होने वाले के रूप में देखा जा रहा है और इसके साथ ही हम वैश्विक दक्षिण की आवाज भी बन रहे हैं.’

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