नयी दिल्ली, 16 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि कोई व्यक्ति याचिका दायर करके यह कहे कि उसे उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया जाना चाहिए, बहुत ही अनुचित है।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि कोई भी यह कहकर उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नहीं बन सकता कि वह बनना चाहता है।
पीठ ने उत्तर प्रदेश के कुछ न्यायिक अधिकारियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। हालांकि, पीठ याचिका पर सुनवाई के लिये सहमत हो गयी और उसने अपने सेक्रेटरी जनरल, केन्द्र तथा अन्य को नोटिस जारी किये।
पीठ ने इन न्यायिक अधिकारियों की इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद पर पदोन्नति से संबंधित मामले में पुन: विचार के लिये दायर याचिका पर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
इस मामले में नोटिस जारी करने के बाद प्रधान न्यायाधीश ने टिप्पणी की, ‘‘यह एकदम नयी बात है। मैं नहीं समझता कि किसी को भी यहां आकर यह कहना चाहिए कि मुझे उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया जाये।’’
पीठ ने कहा, ‘‘आप यह कह कर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नहीं बनते कि मैं बनना चाहता हूं। हम इसे बहुत ही अनुचित मानते हैं कि कोई याचिका दायर करे और कहे कि मुझे उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया जाये।’’
सात याचिकाकर्ताओं में से एक उत्तर प्रदेश के सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी हैं।
अनूप
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