नयी दिल्ली, छह जुलाई प्रधानमंत्री के रूप में मई 2019 में 57 मंत्रियों के साथ अपना दूसरा कार्यकाल आरंभ करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को पहली बार केंद्रीय मंत्रिपरिषद में फेरबदल व विस्तार कर सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, बुधवार शाम छह बजे राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए शपथ ग्रहण समारोह होगा। हालांकि, इस बारे में आधिकारिक तौर पर अभी तक किसी ने पुष्टि नहीं की है।
सूत्रों के मुताबिक, मंत्रिपरिषद में विस्तार व फेरबदल से पहले बुधवार पूर्वाह्न 11 बजे प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल की बैठक करेंगे।
मंत्रिपरिषद में विस्तार और फेरबदल की अटकलों को मंगलवार को तब और बल मिला जब केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया और उन नेताओं को फोन कर दिल्ली बुलाया गया, जिन्हें मंत्री बनाए जाने की चर्चा पिछले कुछ दिनों से चल रही है।
इन नेताओं में प्रमुख नाम मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया, महाराष्ट्र से राज्यसभा के सदस्य नारायण राणे और असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल का है। लोक जनशक्ति पार्टी के पारस गुट के नेता पशुपति पारस भी दिल्ली पहुंच चुके हैं। उनके अलावा जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष आरसीपी सिंह भी दिल्ली में हैं।
मौजूदा मंत्रिपरिषद में गहलोत सहित कुल 53 मंत्री हैं और नियमानुसार अधिकतम मंत्रियों की संख्या 81 हो सकती है।
सिंधिया मध्य प्रदेश के मालवा-निमाड़ अंचल का तीन दिवसीय दौरा अधूरा छोड़कर दिल्ली पहुंचे। उन्होंने इससे पहले धार्मिक नगरी उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन भी किए।
कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार में मंत्री रह चुके सिंधिया ने इंदौर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘मेरा उज्जैन का दौरा समाप्त हो गया है और अब मैं दिल्ली जा रहा हूं। मैं अगले हफ्ते लौटूंगा।’’
उन्होंने हालांकि केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल होने की अटकलों पर औपचारिक रूप से चुप्पी बरकरार रखी और कहा कि उन्हें इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं है।
राणे ने दिल्ली हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘‘मैं सांसद हूं तो दिल्ली आना ही पड़ता है। संसद सत्र से पहले हम आते ही हैं।’’
केंद्रीय मंत्रिपरिषद में विस्तार के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘विशेष कुछ होगा तो जरूर बताएंगे। आप लोगों से कुछ छुपा सकते हैं क्या?’’
इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा के आवास पर एक बैठक हुई, जिसमें पार्टी के संगठन महामंत्री बी एल संतोष उपस्थित थे। संतोष ने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ भी बैठक की थी। शाह और संतोष ने रविवार को प्रधानमंत्री के निवास पर उनके साथ कई घंटों तक चर्चा की थी।
इन बैठकों को मंत्रिपरिषद विस्तार से जुड़े ब्योरे को अंतिम रूप देने से जोड़कर देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री ने भी हाल के दिनों में मंत्रिपरिषद के सहयोगियों के साथ बैठक कर विभिन्न मंत्रालयों के कामकाज की भी समीक्षा की थी। इनमें से अधिकांश बैठकों में शाह और नड्डा भी उपस्थित रहे थे।
सूत्रों के मुताबिक, संभावित विस्तार व फेरबदल में कुछ मंत्रियों की छुट्टी भी हो सकती है,तो कुछ युवा व नये चेहरों को जगह मिल सकती है। अगले साल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड सहित सात राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखकर इस विस्तार में जातीय व क्षेत्रीय संतुलन को साधने का भी प्रयास किया जाएगा।
भाजपा के एक सूत्र ने कहा कि यह फेरबदल व विस्तार ‘‘व्यापक’’ हो सकता है और पार्टी संगठन से जुड़े नेताओं को मंत्रिपरिषद में शामिल किया जा सकता है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, जिन नेताओं को मंत्री बनाया जा सकता हैं उनमें सिंधिया, सोनोवाल और राणे के अलावा बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, महाराष्ट्र के नन्दुरबार से सांसद हिना गावित, भाजपा महासचिव व राज्यसभा सदस्य भूपेंद्र यादव, ओडिशा से राज्यसभा के सदस्य अश्विनी वैष्णव के नाम शामिल हैं।
इस फेरबदल में उत्तर प्रदेश को खास तवज्जो मिल सकती है क्योंकि अगले साल की शुरुआत में वहां विधानसभा चुनाव है और राजनीतिक रूप से यह देश का सबसे महत्वपूर्ण प्रदेश माना जाता है।
सूत्रों के अनुसार, पश्चिम बंगाल का प्रतिनिधित्व भी इस विस्तार में बढ़ सकता है। माना जा रहा है कि भाजपा की सहयोगियों जद (यू) और अपना दल (एस) को भी प्रतिनिधित्व मिल सकता है। आरपीआई नेता राम दास आठवले इकलौते ऐसे गैर भाजपाई नेता हैं, जो फिलहाल नरेंद्र मोदी मंत्रिपरिषद में शामिल हैं।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)