देश की खबरें | किसी अत्याचार के प्रति किसी महिला की प्रतिक्रिया का कोई तय फॉर्मूला नहीं हो सकता: अदालत
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

मुंबई, 24 जुलाई बम्बई उच्च न्यायालय ने कहा है कि किसी व्यक्ति के हिंसक कृत्य के प्रति कोई महिला कैसी प्रतिक्रिया करेगी, इसके बारे में कोई तय फॉर्मूला नहीं हो सकता, लेकिन एक नौजवान को पुख्ता सबूतों के बगैर ही अनिश्चित काल के लिए कैद रखना स्वतंत्रता की अवधारणा के खिलाफ होगा।

न्यायमूर्ति भारती डांगरे ने 21 जुलाई को बलात्कार और उत्पीड़न के एक मामले के आरोपी 24 वर्षीय व्यक्ति को जमानत देते हुए यह टिप्पणी की।

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आरोपी को दिसंबर 2019 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में है।

अदालत के अनुसार, मामला 25 नवंबर को दर्ज किया गया था, जब 25 वर्षीय महिला ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने 28 अक्टूबर, 2019 को लोनावाला की आम्बी घाटी में उसके साथ बलात्कार किया और उसका उत्पीड़न किया ।

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पीड़िता के अनुसार, वह पिछले आठ वर्षों से आरोपी को जानती थी और वे कुछ दोस्तों के साथ दीवाली मनाने के लिए आम्बी घाटी गए थे।

अपनी यात्रा से लौटने पर महिला ने अपनी मां को इस घटना के बारे में बताया, जिसके बाद उन्होंने पुणे में संबंधित पुलिस स्टेशन से संपर्क किया और 8 नवंबर को एक प्राथमिकी दर्ज कराई।

आरोपी को जमानत पर रिहा करने का अनुरोध करते हुये उसके वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने दलील दी थी कि प्राथमिकी दर्ज करने में देरी हुई है और इस विलंब की वजह भी स्पष्ट नहीं की गयी है।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पीड़िता ने दावा किया कि आरोपी को उसके साथ छेड़छाड़ करने से रोकने के लिए उसने शोर मचाया था और यह आश्चर्यजनक था कि एक ही बंगले में रहने के बावजूद उसका कोई भी दोस्त उसके बचाव में नहीं आया।

अदालत ने अभियोजन द्वारा प्रस्तुत की गई सामग्री और आरोप पत्र को देखने के बाद कहा कि यह मानने के लिए इससे एक उचित आधार नहीं बनता है कि आवेदक अपराध का दोषी है।

न्यायमूर्ति डांगरे ने कहा कि इसके बारे में एक सीधा फॉर्मूला नहीं हो सकता है कि एक महिला किसी पुरुष द्वारा उत्पीड़न पर कैसे प्रतिक्रिया देगी, क्योंकि सभी महिलाएं अलग-अलग परिस्थितियों में पैदा होती हैं, जीवन में अलग-अलग चीजों से गुजरती हैं और अनुभव करती हैं और अलग-अलग ढंग से प्रतिक्रिया करती हैं।

अदालत ने कहा कि अभियुक्त मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक है और उसकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं थी।

अदालत ने कहा कि एक मजबूत आधार के बिना अनिश्चित अवधि के लिए एक युवक को कैद करके रखना स्वतंत्रता की अवधारणा के खिलाफ होगा और अदालत ने उसे 50,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी।

कृष्ण

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