विदेश की खबरें | खतरों के कारण अमेरिकियों को काबुल हवाईअड्डे तक लाने के नए तरीके खोज रही है अमेरिकी सेना
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अफरा-तफरी के माहौल में वहां से लोगों को बाहर निकालने के प्रयास अब और जटिल हो गए हैं।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अफरा-तफरी के माहौल में वहां से लोगों को बाहर निकालने के प्रयास अब और जटिल हो गए हैं।
अधिकारी ने अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त पर शनिवार को बताया कि अमेरिकियों के छोटे-छोटे समूहों और अफगानिस्तान से निकलने के इच्छुक संभवत: अन्य लोगों को विशेष निर्देश दिए जाएंगे कि उन्हें क्या करना है। उन्हें उन बिंदुओं पर आवागमन को लेकर निर्देश दिए जाएंगे, जहां सेना उन्हें एकत्र कर सकती है।
अमेरिकी दूतावास ने शनिवार को एक नयी सुरक्षा चेतावनी जारी करते हुए नागरिकों से कहा कि वे काबुल हवाई अड्डे के द्वार पर सुरक्षा खतरों को देखते हुए "अमेरिकी सरकार के प्रतिनिधि के व्यक्तिगत निर्देश" के बिना वहां नहीं आएं। अधिकारियों ने आईएस के खतरे के बारे में विस्तार से जानकारी देने से इनकार कर दिया, लेकिन उसने कहा कि यह खतरा बड़ा है। उन्होंने कहा कि अभी तक आईएस के किसी हमले की पुष्टि नहीं हुई।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की अमेरिकी सैनिकों की पूरी तरह वापसी की 31 अगस्त की समय-सीमा नजदीक आती जा रही है। हवाई अड्डे के बाहर हो रही हिंसा और अफरा-तफरी के वीडियो सामने आने के बीच बाइडन की आलोचना हो रही है। तालिबान के बदले से खौफजदा अफगान लोग गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें यहां छोड़कर नहीं जाया जाए।
इस्लामिक स्टेट (आईएस) समूह ने काफी समय पहले ही अमेरिका और विदेश में अमेरिकी हितों पर हमले की अपनी इच्छा की घोषणा की थी। वह कई साल से अफगानिस्तान में सक्रिय रहा है और उसने देश में कई भयानक हमलों को अंजाम दिया है, जिनमें से अधिकतर हमले शिया अल्पसंख्यकों पर किए गए हैं। आईएस को हालिया वर्षों में अमेरिका और तालिबान ने भी कई बार निशाना बनाया है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि आईएस अब भी अफगानिस्तान में सक्रिय हैं और अब अफगानिस्तान पर विभाजनकारी तालिबान के कब्जे के कारण अमेरिका को यहां आईएस के फिर से मजबूत होने की आशंका है।
बाइडन प्रशासन सैन्य विमानों के जरिए अफगानिस्तान से निकाले जाने के बाद अफगान शरणार्थियों को लाने-ले जाने के लिए अमेरिकी वाणिज्यिक विमानन कंपनियों एवं उनके चालक दल के सदस्यों की मदद लेने पर विचार कर रहा है।
अमेरिका के ‘ट्रांसपोर्टेशन कमांड’ ने शनिवार को एक बयान में बताया कि पेंटागन ने ‘सिविल रिजर्व एयर फ्लीट’ के तहत वाणिज्यिक विमानन कंपनियों को सक्रिय किए जाने की कोई मंजूरी नहीं दी है या ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है, लेकिन उसने बताया कि उसने कार्यक्रम को सक्रिय किए जाने की संभावना को लेकर शुक्रवार रात को अमेरिकी विमानन कंपनियों को सचेत करते हुए आदेश जारी किया। इस बारे में ‘द वाल स्ट्रीट जर्नल’ ने जानकारी दी।
इस बीच, तालिबान के नेता मुल्ला अब्दुल बरादर समूह के नेतृत्व से बातचीत के लिए काबुल पहुंच गए। बरादर की मौजूदगी इस मायने में महत्वपूर्ण है कि उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई जैसे अफगानिस्तान के पूर्व नेताओं से कई बार बात की है।
राजधानी में हुयी वार्ता से अवगत अफगान अधिकारियों ने बताया कि तालिबान ने कहा है कि वह अमेरिकी सैनिकों की वापसी की 31 अगस्त की समयसीमा से पहले अपनी सरकार के बारे में कोई घोषणा नहीं करेगा।
अपदस्थ सरकार में वरिष्ठ अधिकारी रहे अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने ट्वीट किया कि उन्होंने और पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने शनिवार को काबुल के लिए तालिबान के कार्यवाहक गवर्नर से मुलाकात की थी, जिन्होंने ‘‘आश्वस्त किया कि वह शहर के लोगों की सुरक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे।’’
लोगों को निकालने के अभियान जारी रहे, लेकिन हवाईअड्डे पर अफरा तफरी के कारण बाहर जाने वाली उड़ानों में क्षमता से कहीं अधिक लोग सवार हुए।
ज्वाइंट स्टाफ के उपनिदेशक सेना के मेजर जनरल हैंक टेलर ने पेंटागन के संवाददाताओं को शनिवार को बताया कि अमेरिका ने 15 अगस्त के बाद से काबुल हवाईअड्डे के जरिए 17,000 लोगों को बाहर निकाला है। उन्होंने कहा कि इनमें करीब 2,500 अमेरिकी हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि अफगानिस्तान में 15,000 अमेरिकियों के मौजूद होने का अनुमान है, लेकिन उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि उनके पास सटीक संख्या नहीं हैं
सुरक्षा खतरों ने काबुल हवाईअड्डे से अमेरिकी नागरिकों और अन्य लोगों की निकासी प्रक्रिया को धीमा कर दिया, क्योंकि हजारों लोग देश से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं जिससे हवाई अड्डे पर अफरा-तफरी का माहौल है।
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि अभी तक 13 देश संकट में आए अफगान नागरिकों को कम से कम अस्थायी तौर पर अपने यहां रखने को तैयार हो गए हैं। अन्य 12 देश अमेरिकी तथा अन्य लोगों की निकासी की खातिर पारगमन सुविधा देने को राजी हैं।
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