देश की खबरें | बीईएल, ईसीआईएल को ईवीएम की ‘बर्न्ट’ मेमोरी, सॉफ्टवेयर की प्रामाणिकता तय करने देने का प्रस्ताव मंजूर
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को निर्वाचन आयोग के उस प्रस्ताव को मान लिया जिसमें इसने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की ‘बर्न्ट’ मेमोरी और सॉफ्टवेयर से किसी तरह की छेड़छाड़ होने या न होने की जांच करने तथा सत्यापन को कहा है।
नयी दिल्ली, सात मई उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को निर्वाचन आयोग के उस प्रस्ताव को मान लिया जिसमें इसने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की ‘बर्न्ट’ मेमोरी और सॉफ्टवेयर से किसी तरह की छेड़छाड़ होने या न होने की जांच करने तथा सत्यापन को कहा है।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ईवीएम में ‘बर्न्ट’ मेमोरी और ‘सिंबल लोडिंग यूनिट’ (एसएलयू) के सत्यापन के लिए अपने फैसले के अनुपालन में याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
आयोग ने अपने हलफनामे में कहा कि वह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) पर मौजूद डेटा को मिटाएगा नहीं, जिसके लिए उम्मीदवारों ने सत्यापन की मांग की है।
गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि ईवीएम के सत्यापन के लिए आयोग द्वारा तैयार की गई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) ईवीएम-वीवीपीएटी मामले में अप्रैल 2024 के फैसले के अनुरूप नहीं थी।
पीठ ने बुधवार को तकनीकी एसओपी में संशोधन के लिए आयोग के प्रस्ताव पर गौर किया और कहा, "बीईएल और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के इंजीनियर भी एक प्रमाणपत्र जारी करेंगे कि वे इस बात से संतुष्ट हैं कि ईवीएम की ‘बर्न्ट’ मेमोरी और सॉफ्टवेयर के साथ छेड़छाड़ नहीं की गई है और उनकी शुचिता बरकरार है।’’
प्रधान न्यायाधीश ने आदेश में कहा कि अगर कोई उम्मीदवार ‘मॉक पोल’ चाहता है, तो निर्वाचन आयोग ऐसा कर सकता है।
पीठ ने पहले निर्वाचन आयोग से सत्यापन प्रक्रिया के दौरान डेटा को मिटाने या फिर से लोड करने से परहेज करने को कहा था।
याचिकाओं में निर्वाचन आयोग को ईवीएम की ‘बर्न्ट मेमोरी’ या माइक्रो-कंट्रोलर और एसएलयू की जांच और सत्यापन करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने 26 अप्रैल 2024 के अपने फैसले में मतपत्र से मतदान की पुरानी प्रणाली वापस लाने की मांग खारिज करते हुए कहा था कि ईवीएम ‘‘सुरक्षित’’ हैं और ‘बूथ कैप्चरिंग’ तथा फर्जी मतदान को खत्म करती हैं।
हालांकि, इसने चुनाव परिणामों में दूसरे और तीसरे स्थान पर आने वाले असंतुष्ट असफल उम्मीदवारों के लिए एक रास्ता खोल दिया और उन्हें आयोग को शुल्क का भुगतान करके लिखित अनुरोध पर प्रति विधानसभा क्षेत्र में पांच प्रतिशत ईवीएम में लगी माइक्रो-कंट्रोलर चिप्स के सत्यापन की मांग करने की अनुमति दी।
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