जरुरी जानकारी | विदेशी बाजारों में गिरावट से सोयाबीन, पाम, पामोलीन सहित सरसों तेल-तिलहन के भाव टूटे

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नयी दिल्ली, 28 अगस्त विदेशों में बाजार टूटने के बीच देश के तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को सोयाबीन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल सहित सरसों तेल-तिलहन के भाव गिरावट दर्शाते बंद हुए। सोयाबीन के पहले से काफी नीचे चल रहे दाम में मामूली सुधार आने से सोयाबीन तिलहन तथा बेहद मामूली स्टॉक की वजह से बिनौला तेल के दाम में सुधार देखने को मिला। ऊंचे दाम पर कम कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।

मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट चल रहा है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज कल रात लगभग 1.25 प्रतिशत टूटा था और फिलहाल यहां घट-बढ़ चल रहा है।

सूत्रों ने कहा कि देश में आयातित खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ने की सुगबुगाहट के बीच मलेशिया का जो बाजार मजबूत चल रहा था उसमें थोड़ी गिरावट है।

उन्होंने कहा कि सोयाबीन तिलहन का हाजिर भाव पहले के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 5-7 प्रतिशत नीचे है जबकि नये एमएसपी से 12-14 प्रतिशत नीचे दाम पर बिक रहा है। इस अत्यधिक गिरावट के बीच सोयाबीन तिलहन के दाम में सुधार तो है लेकिन हाजिर कीमत अब भी एमएसपी से कम ही है। किसानों को सोयाबीन के नये एमएसपी (4,892 रुपये क्विंटल) को लेकर सरकार की ओर से कुछ उपचारात्मक पहल किये जाने की उम्मीद है और इस वजह से भी सोयाबीन तिलहन के दाम मजबूत हुए हैं। दूसरी ओर बिनौला का स्टॉक लगभग समाप्त हो गया है और मांग निकलने से बिनौला तेल के दाम में सुधार आया। जबकि महंगे दाम पर कम कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।

सूत्रों ने कहा कि देश के प्रमुख तेल संगठन सोपा ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को देश के तेल-तिलहन उद्योग की चिंताओं से अवगत कराया है और जमीनी वास्तविकता को सामने रखा है। संभवत: सोपा ने इस बात को भी सामने रखा है कि खाद्य तेलों की प्रति व्यक्ति खपत काफी कम है और शुल्क बढ़ाने से देशी तेल-तिलहन के बाजार में खपने की स्थिति बनेगी। इस मुलाकात के बाद देश की आगामी खरीफ तिलहन फसल और किसानों के हितों के संरक्षण में आयातित खाद्य तेलों के आयात शुल्क बढ़ाये जाने की चर्चा ने भी जोर पकड़ा है।

सूत्रों ने कहा कि एक विशेष बात यह है कि खाद्य तेल के बारे में होने वाली परिचर्चाओं में कुछ ऐसे प्रवक्ताओं को भी देखा जा रहा है जो देश के किसी तेल संगठन के न तो प्रतिनिधि हैं न ही किसी के प्रति उनकी जवाबदेही है। ऐसे प्रवक्ताओं को आयात शुल्क में अत्यधिक वृद्धि किये जाने की संभावना पर चिंता जताते पाया जाता है कि इससे महंगाई बढ़ेगी और आयात शुल्क में मामूली वृद्धि ही की जानी चाहिये।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन - 6,175-6,215 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली - 6,500-6,775 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,450 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,315-2,615 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 12,050 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,930-2,030 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,930-2,055 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,450 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,100 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,700 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 9,225 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,850 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,400 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,500 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना - 4,575-4,605 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,385-4,510 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,175 रुपये प्रति क्विंटल।

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