देश की खबरें | बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों ने कहा : सरकार का साथ देने वालों को मिले इनाम
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर जारी बयानबाजी के बीच बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों ने मंगलवार को पायलट खेमे पर निशाना साधा और कहा कि पार्टी आलाकमान को किसी दबाव में न आकर उन लोगों को इनाम देना चाहिए जो संकट के समय सरकार के साथ खड़े रहे।
जयपुर, 15 जून राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर जारी बयानबाजी के बीच बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों ने मंगलवार को पायलट खेमे पर निशाना साधा और कहा कि पार्टी आलाकमान को किसी दबाव में न आकर उन लोगों को इनाम देना चाहिए जो संकट के समय सरकार के साथ खड़े रहे।
कई दिनों से जयपुर में डेरा डाले इन विधायकों ने मंगलवार को यहां संवाददाता सम्मेलन किया। इसमें तिजारा से विधायक संदीप यादव ने पायलट खेमे पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन लोगों ने बगावत की वे अब दबाव बना रहे हैं जबकि सरकार तो हमने बचाई थी।
यादव ने कहा, '‘जिन लोगों ने पार्टी के साथ गद्दारी की, जिन लोगों ने सरकार को अस्थिर किया वे लोग अब हाइकमान पर दबाव बना रहे हैं। उनके हिसाब से यह सरकार गिर गई होती, अगर हम 10 निर्दलीय और छह लोग नहीं होते। 19 लोगों के जाने के बाद तो सरकार का बहुमत खत्म हो गया था।’'
उल्लेखनीय है कि तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट व उनके समर्थक 18 विधायकों ने पिछले साल जून- जुलाई में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व से नाराजगी जताते हुए बगावती रुख अपनाया था। हालांकि पार्टी आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद वे वापस लौट आए थे। पायलट व उनके समर्थक विधायक कई बार पार्टी को सत्ता में लाने वाले कार्यकर्ताओं को उचित सम्मान देने की मांग कर चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि लाखन सिंह, राजेन्द्र गुढा, संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, जोगेन्द्र अवाना ने 2018 में विधानसभा चुनाव बसपा उम्मीदवार के रूप में जीता था और सितम्बर 2019 में बसपा के सभी विधायक कांग्रेस में शामिल हो गये थे।
संवाददाता सम्मेलन में विधायक अवाना, गुढ़ा व लाखन सिंह ने भी कहा कि उस दौरान राज्य की गहलोत सरकार गिरने के कगार पर आ गई थी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में कोई भी फैसला पार्टी आलाकमान व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को करना है, लेकिन यह फैसला उन लोगों के पक्ष में होना चाहिए जो संकट के समय सरकार के साथ खड़े रहे।
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