
नयी दिल्ली, 10 जून रेल मंत्रालय ने मथुरा-वृंदावन रेलवे लाइन को ‘मीटर गेज’ से ‘ब्रॉड गेज’ में बदलने की अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना को ‘‘अलाभकारी’’ करार देते हुए स्थायी रूप से बंद कर दिया है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 402 करोड़ रुपये थी।
मथुरा-वृंदावन प्रखंड के अधिकारक्षेत्र से जुड़े उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) जोन ने स्थानीय लोगों के विरोध के कारण कुछ महीने पहले इसे स्थायी रूप से समाप्त करने का प्रस्ताव रखा था।
रेल मंत्रालय ने एनसीआर जोन के महाप्रबंधक को छह जून को लिखे पत्र में कहा, ‘‘उत्तर मध्य रेलवे की उक्त अलाभकारी शाखा लाइन को बंद करने के उत्तर मध्य रेलवे के प्रस्ताव की (रेलवे) बोर्ड द्वारा पड़ताल की गई है। तदनुसार, सक्षम प्राधिकारी ने उत्तर मध्य रेलवे के आगरा मंडल के मथुरा वृंदावन प्रखंड को स्थायी रूप से बंद करने की मंजूरी दे दी है।’’
इसमें कहा गया कि यह निर्णय रेल मंत्रालय के वित्त निदेशालय की सहमति से लिया गया है तथा जोन से आवश्यक कार्रवाई शुरू करने को कहा गया है।
परियोजना से जुड़े रेलवे अधिकारियों ने बताया कि दोनों शहरों के बीच रेल संपर्क का काम करीब दो साल पहले शुरू हुआ था और मथुरा तथा वृंदावन दोनों तरफ से रेल पटरियां बिछाने में काफी समय और धन खर्च किया गया था।
विशेषज्ञों के एक तबके ने यह भी कहा कि परियोजना को रद्द करने से रेलवे की दूरदर्शिता और योजना पर प्रश्नचिह्न लग गया है तथा इससे भारी वित्तीय नुकसान हो सकता है।
रेलवे बोर्ड ने 2017-18 में 402 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से मथुरा और वृंदावन के बीच ‘मीटर गेज’ रेल लाइन को ‘ब्रॉड गेज’ में बदलने की मंजूरी दी थी।
फरवरी 2023 में आईएससी नामक कंपनी को 191 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया, जिसके बाद 31 मार्च 2023 को मौजूदा पटरी को हटाने और नयी पटरी बिछाने की प्रक्रिया शुरू की गई। ठेकेदार को दो साल में 30 मार्च 2025 तक काम पूरा करना था।
कृष्ण जन्मभूमि और वृंदावन में स्टेशन भवन के निर्माण के लिए 38 करोड़ रुपये की लागत का एक अन्य अनुबंध, जिसमें प्लेटफॉर्म और फुट-ओवर ब्रिज भी शामिल हैं, मई 2023 में एचओजी प्रोजेक्ट्स को दिया गया।
‘मीटर गेज’ पटरी का निर्माण 100 साल से भी अधिक समय पहले अंग्रेजों द्वारा किया गया था, जिस पर एक कोच वाली रेल बस 2023 की शुरुआत तक दिन में दो बार चलती थी। ‘ब्रॉड गेज’ के निर्माण के लिए सेवा बंद कर दी गई थी।
आमान परिवर्तन का कार्य वृंदावन से शुरू किया गया था, लेकिन जून 2023 में जब मथुरा की ओर से कार्य शुरू हुआ तो स्थानीय निवासियों ने आपत्ति जताई।
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि ‘मीटर गेज’ जमीन के स्तर पर होने के कारण स्थानीय लोग आसानी से पटरी पार कर जाते थे और रेल बस की गति भी धीमी थी।
इस संबंध में एक सितंबर, 2023 को एनसीआर क्षेत्र के वरिष्ठ अधिकारियों, मथुरा के जिलाधिकारी, नगर आयुक्त, प्रदर्शनकारी निवासियों और उनके प्रतिनिधियों सहित अन्य के बीच एक बैठक हुई।
अधिकतर निवासियों ने ‘ब्रॉड गेज’ रेल लाइन के बजाय रेलवे की भूमि पर सड़क निर्माण की मांग की।
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