बच्चे के इलाज के लिए आए यमन के परिवार ने अस्पताल पर पासपोर्ट नहीं लौटाने का आरोप लगाया
दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि यमन के एक परिवार के पासपोर्ट एक निजी अस्पताल द्वारा कथित तौर पर ले लिए जाने के विषय की जांच जारी है. इस अस्पताल में शिकायतकर्ता के एक साल के बेटे का इलाज चल रहा था.
नयी दिल्ली, 15 जुलाई : दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि यमन के एक परिवार के पासपोर्ट एक निजी अस्पताल द्वारा कथित तौर पर ले लिए जाने के विषय की जांच जारी है. इस अस्पताल में शिकायतकर्ता के एक साल के बेटे का इलाज चल रहा था. अदालत यमन के एक नागरिक की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जो अपनी पत्नी के साथ अपने बच्चे के इलाज के लिए भारत आया था. याचिका में आग्रह किया गया कि पूर्वी दिल्ली में स्थित इस निजी अस्पताल को उनके पासपोर्ट वापस करने का निर्देश दिया जाए ताकि वे अपने देश लौट पाएं. पुलिस ने कहा कि शिकायतकर्ता का बयान जांच अधिकारी द्वारा दर्ज किया गया है और आगे की जांच जारी है तथा संबंधित पुलिस उपायुक्त द्वारा करीबी निगरानी की जा रही है.
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने मामले को 20 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया ताकि पुलिस के वकील मामले में और निर्देश ले सकें.पुलिस के वकील ने कहा कि अस्पताल और दुभाषिया का काम करने वाली महिला के बीच कुछ सांठगांठ प्रतीत होती है, जिसकी तैनाती अस्पताल ने परिवार की सहायता के लिए की थी और उनसे बड़ी राशि ली गई थी. उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से पासपोर्ट अस्पताल के पास नहीं बल्कि दुभाषिए के पास है और पुलिस को यह पता लगाने की जरूरत है कि दस्तावेज महिला तक कैसे पहुंचे थे. उच्च न्यायालय ने 11 जुलाई को यमन के दूतावास द्वारा परिवार की पीड़ा के बारे में निजी अस्पताल में की गई शिकायत का संज्ञान लिया. अदालत ने दिल्ली पुलिस के वकील और पूर्वी दिल्ली में मधु विहार के थाना प्रभारी को मुद्दे पर निर्देश प्राप्त करने के लिए कहा था. यह भी पढ़ें : भाजपा सरकार ने विकास के मामले में नहीं किया भेदभाव तो वोटों के मामले में भेदभाव क्यों ? : मुख्तार अब्बास नकवी
अस्पताल के वकील ने अदालत में दावा किया था कि उसके पास याचिकाकर्ता व्यक्ति की पत्नी और बच्चे के पासपोर्ट नहीं हैं. व्यक्ति ने अपनी याचिका में कहा कि उसे इस साल मार्च में अस्पताल से अपने बेटे के इलाज के लिए एक शुरूआती बिल प्राप्त हुआ था. बच्चा पिछले साल जुलाई में पैदा हुआ था. अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग ने ‘मेनिंगोमीलोसेले’ और अन्य सर्जरी के लिए 7,000 से 7500 डॉलर का अनुमानित खर्च बताया था. व्यक्ति अपनी पत्नी और बेटे के साथ मार्च में भारत आया था और दुभाषिया से यहां इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर वे मिले थे. याचिका में कहा गया है कि 14 अप्रैल, 2022 को बच्चे में ‘मेनिंगोमीलोसेले’ और पीठ के निचले हिस्से में सूजन का पता चला तथा उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया. सर्जरी की सलाह देते हुए दुभाषिया ने बार-बार उस व्यक्ति से उसके बैंक खाते में धन भेजने के लिए कहा.