देश की खबरें | शहीद जवानों के परिजनों के सपने टूटे, लेकिन शहादत पर है गर्व
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर और सुकमा जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में 22 जवानों की शहादत के साथ उनके परिजनों के सपने टूट गए हैं। जल्दी आने का वादा करके गए जवानों का पार्थिव शरीर देखकर परिवार के सदस्यों के आंसू थम नहीं रहे हैं। हालांकि मातृभूमि के लिए जाने देने वाले इन जवानों के लिए इनका गांव गर्व भी महसूस कर रहा है।
जगदलपुर, पांच अप्रैल छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर और सुकमा जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में 22 जवानों की शहादत के साथ उनके परिजनों के सपने टूट गए हैं। जल्दी आने का वादा करके गए जवानों का पार्थिव शरीर देखकर परिवार के सदस्यों के आंसू थम नहीं रहे हैं। हालांकि मातृभूमि के लिए जाने देने वाले इन जवानों के लिए इनका गांव गर्व भी महसूस कर रहा है।
छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के आवापल्ली क्षेत्र के निवासी सोमैया माड़वी का पार्थिव शरीर जब उनके गांव पहुंचा तब सारा गांव एकत्र हो गया। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के बस्तरिया बटालियन के जवान सोमैया ने परिवार से वादा किया था कि वह जल्द ही लंबी छुट्टी में आएंगे और नए घर में रहेंगे।
राज्य के बस्तर क्षेत्र के स्थानीय युवाओं को रोजगार देने के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने बस्तरिया बटालियन का गठन किया है। इस बटालियन में तैनात सोमैया उन 22 जवानों में से एक हैं जिनकी शनिवार को नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में मृत्यु हो गई थी।
सोमैया के परिवार के एक सदस्य शंकर माड़वी ने बताया कि सोमैया की पांच वर्ष पहले पुलिस में सिपाही के पद पर भर्ती हुई थी। 10 वर्षीय एक बेटे के पिता सोमैया ने कुछ समय पहले ही गांव में घर बनवाया था, लेकिन वह इस घर में अधिक दिनों तक नहीं रह सके।
शंकर बताते हैं कि गृह प्रवेश के दौरान सोमैया ने परिवार से वादा किया था कि जल्द ही वह लंबी छुट्टी लेकर आएंगे तथा परिवार के साथ समय बिताएंगे, लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। सोमैया घर नहीं लौटे और अब उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंचा।
इस नक्सली हमले में सोमैया के साथ बीजापुर जिले के ही सात अन्य जवान भी शहीद हुए हैं। लगभग तीन दशक से नक्सली हिंसा से जूझ रहे इस क्षेत्र के जवान अब नक्सलियों के लिए हथियार उठाने के बजाए देश की सेवा में अपनी जान दे रहे हैं।
शहीद जवानों के एक रिश्तेदार ने बताया कि बस्तर के युवा अब देश के लिए अपनी जान दे रहे हैं। आने वाले दिनों में यह शहादत नक्सलियों को महंगी पड़ेगी।
एक अन्य शहीद नारायण सोढ़ी के भाई भीमा सोढ़ी ने बताया कि क्षेत्र के लोगों की नक्सलियों से नाराजगी बढ़ती जा रही है। ग्रामीणों में गुस्सा और शोक है और वह अब नक्सलियों ने डरे हुए नहीं हैं। गांव के युवकों के पुलिस बल में भर्ती होने से नक्सली हताश हैं।
डीआरजी में हवलदार के पद पर तैनात नारायण सोढ़ी आवापल्ली क्षेत्र के पुन्नेर गांव के निवासी थे।
भीमा बताते हैं कि उनके परिवार में ही उसे छोड़कर उनके अन्य चार भाई पुलिस में भर्ती हो गए हैं।
इधर राज्य के गरियाबंद जिले के मोहदा गांव निवासी एसटीएफ के आरक्षक सुखसिंह फरास के शहीद होने की खबर से पूरा गांव उनके घर के सामने एकत्र हो गया।
ग्रामीणों ने बताया कि फरास की ढ़ाई वर्ष पहले शादी हुई थी। उनका एक वर्ष का एक बेटा है। फरास के शहीद होने की खबर के बाद से पूरा गांव दुखी है, परिवार के लोगों का रो रोकर बुरा हाल है। जवान के माता पिता और पत्नी ने जो सपने देखे थे वह नक्सली हमले में एक ही झटके में टूट गए हैं।
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा और बीजापुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में शनिवार को नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में सुरक्षा बलों के 22 जवान शहीद हो गए हैं तथा 31 अन्य जवान घायल हैं।
शहीद जवानों में सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन के सात जवान, सीआरपीएफ के बस्तरिया बटालियन का एक जवान, डीआरजी के आठ जवान और एसटीएफ के छह जवान शामिल हैं। वहीं एक जवान अभी भी लापता है। लापता जवान की तलाश की जा रही है।
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