नयी दिल्ली, 25 जून दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को उस याचिका पर पुलिस से स्थिति रिपोर्ट मांगी जिसमें ऑक्सीजन की कथित कमी के कारण कोविड-19 रोगियों की मौत के मामले में जयपुर गोल्डन अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ हत्या के अपराध में प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया गया है।
23-24 अप्रैल की दरमियानी रात को अस्पताल में गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 के 21 रोगियों की मौत हो गई थी, क्योंकि अस्पताल ने ऑक्सीजन की आपूर्ति फिर से शुरू होने का कथित तौर पर इंतजार किया था।
मृतकों के परिवार के छह सदस्यों ने यह दावा करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है कि अस्पताल प्रबंधन को दंडित किया जाना चाहिए, लेकिन पुलिस ने दुर्भावनापूर्ण इरादे से न तो उन्हें गिरफ्तार किया और न ही उनके खिलाफ जांच शुरू की।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट विवेक बेनीवाल ने दिल्ली पुलिस को याचिका पर स्थिति रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है और मामले की अगली सुनवाई 13 जुलाई को करना निर्धरित किया।
परिजनों ने अदालत से अनुरोध किया है कि हत्या, आपराधिक धमकी, लापरवाही से मौत, धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और सबूत मिटाने जैसे अपराधों का संज्ञान लेते हुए इन अपराधों के लिए आरोपियों को समन करके मुकदमा चलाया जाए।
अधिवक्ता साहिल आहूजा और सिद्धांत सेठी के माध्यम से दायर याचिका में शिकायतकर्ताओं ने कहा है कि अस्पताल प्रबंधन को रोगियों को भर्ती करना बंद कर देना चाहिए था या ऑक्सीजन की आपूर्ति कम होने पर उन्हें छुट्टी देना शुरू करना चाहिए था।
इसमें कहा गया है, ‘‘सभी को अंधेरे में रखना और इस तरह उचित ऑक्सीजन प्रदान नहीं करना, जिसके कारण मृत्यु हुई, उनकी ओर से गैर-इरादतन हत्या का कृत्य है, जबकि आरोपी अस्पताल ने पैसा बनाया और बिल जारी किये।’’
शिकायतकर्ताओं ने इसे "अनावश्यक लापरवाही" बताते हुए कहा कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि अस्पताल प्रबंधन ने शिकायतकर्ता के परिवार के सदस्यों की हत्या की, धोखाधड़ी की, साजिश रची और उन्हें धमकी दी।
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