देश की खबरें | याचिका में आरोप नई आबकारी नीति जमींदारी व्यवस्था को बहाल करती है, अदालत ने दिल्ली सरकार से मांगा जवाब
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को आम आदमी पार्टी सरकार से उस याचिका पर जवाब मांगा जिसमे कहा गया है कि उसकी नई आबकारी नीति 2021 संविधान द्वारा निरस्त ‘जमींदारी’ व्यवस्था को बहाल करती है और एकाधिकार उत्पादक संघ की व्यवस्था को सुगम बनाती है।
नयी दिल्ली, चार अगस्त दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को आम आदमी पार्टी सरकार से उस याचिका पर जवाब मांगा जिसमे कहा गया है कि उसकी नई आबकारी नीति 2021 संविधान द्वारा निरस्त ‘जमींदारी’ व्यवस्था को बहाल करती है और एकाधिकार उत्पादक संघ की व्यवस्था को सुगम बनाती है।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने दिल्ली मदिरा व्यापारी संघ (डीएलटीए) की याचिका पर दिल्ली सरकार के साथ ही केन्द्र और दिल्ली के उपराज्यपाल को नोटिस जारी किये। डीएलटीए दो शराब लाइसेंस धारकों के साथ राष्ट्रीय राजधानी में 143 लाइसेंस प्राप्त शराब व्यापारियों के प्रतिनिधित्व का दावा करता है।
अदालत ने पिछले महीने याचिका पर नोटिस जारी करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और कुछ अन्य कंपनियों को प्रतिवादी के तौर पर नामित किया गया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता अरूण मोहन ने अदालत को बताया कि पक्षकारों के नाम हटाते हुए संशोधित ज्ञापन दायर किया गया है।
अधिवक्ता अरविंद भट्ट और सिद्धार्थ शर्मा के जरिये दायर याचिका में व्यापारी निकाय ने आरोप लगाया कि नई आबकारी नीति असंवैधानिक व अव्यवहारिक है।
इसमें कहा गया कि व्यापारियों को हालांकि शराब के व्यापार का मौलिक अधिकार नहीं है लेकिन उन्हें मौजूदा लाइसेंस जारी रखने से इनकार करने और प्रतिस्पर्धा को खत्म करने के खिलाफ शिकायत का अधिकार है।
याचिका में कहा गया, “कई अन्य कानूनी चुौतियां भी हैं जिनमें जो अति-अमीर नहीं हैं उन्हें वंचित करते हुए एकाधिकार उत्पादन संघ की सुविधा देना शामिल है और इस तरह से प्रतिस्पर्धा को खत्म किया जा रहा है। एक तरह से यह नीति ब्रिटिश काल की जमींदारी व्यवस्था (भू राजस्व के लिये) को फिर से बहाल करने का प्रयास करती है जिसे 26-1-1950 को संविधान लागू होने के बाद समाप्त कर दिया गया था।”
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