विदेश की खबरें | आतंक से जुड़ी हैं मानवीयता कर्मियों के खिलाफ हिंसा, जवाबदेही के अभाव की समस्याएं: भारत
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने शुक्रवार को कहा कि आतंकवाद के साथ दो समस्याएं जुड़ी हैं, मानवीय कार्यों में संलग्न अधिकारियों के खिलाफ हिंसा और मानवीयता कानून का उल्लंघन करने के पीछे जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने और उन पर प्रतिबंध लगाने का अभाव। उन्होंने जोर देकर कहा कि मानवीय कार्रवाई का इस्तेमाल देशों की क्षेत्रीय अखंडता को कमतर करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र, 16 जुलाई विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने शुक्रवार को कहा कि आतंकवाद के साथ दो समस्याएं जुड़ी हैं, मानवीय कार्यों में संलग्न अधिकारियों के खिलाफ हिंसा और मानवीयता कानून का उल्लंघन करने के पीछे जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने और उन पर प्रतिबंध लगाने का अभाव। उन्होंने जोर देकर कहा कि मानवीय कार्रवाई का इस्तेमाल देशों की क्षेत्रीय अखंडता को कमतर करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
श्रृंगला ने संरा सुरक्षा परिषद में ‘सशस्त्र संघर्षों में नागरिकों की रक्षा: मानवीयता की रक्षा’’ पर ब्रीफिंग में शुक्रवार को ये कहा।
उन्होंने कहा, ‘‘दुनियाभर में मानवीय हालातों की जटिल प्रकृति को देखते हुए आज परिषद को तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।’’
श्रृंगला ने कहा कि ‘‘आतंकवाद मानवीयता कर्मियों के खिलाफ हमले और जवाबदेही के अभाव जैसी दो समस्याओं को और जोड़ता है। नई और उभरती प्रौद्योगिकियों की पहुंच से आतंकवादी समूहों की चिकित्सा और मानवीय एजेंसियों तक सुरक्षित एवं निर्बाध पहुंच समेत मानवीय कार्रवाई को अवरूद्ध करने की क्षमताएं बढ़ी हैं। आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की जरूरत है।’’
श्रृंगला इस महीने फ्रांस की अध्यक्षता के तहत सुरक्षा परिषद में उच्च स्तरीय बैठकों में हिस्सा लेने के लिए 14 से 16 जुलाई तक न्यूयॉर्क के आधिकारिक दौरे पर हैं। श्रृंगला का दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है जब भारत अगस्त महीने के लिए 15 राष्ट्र वाली शक्तिशाली सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करने की तैयारी कर रहा है।
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानवीयता कानून के गंभीर उल्लंघनों के दोषी व्यक्तियों और प्रतिष्ठानों पर प्रतिबंध लगाना उल्लंघनों को रोकने के लिए परिषद के पास एक प्रभावी हथियार होगा। श्रृंगला ने कहा, ‘‘लेकिन हमारा मानना है कि ऐसे कदमों को व्यापक क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलना चाहिए अन्यथा मानवीय संकट और गहरा जाएगा तथा मानवतावाद के लिए अवसर कम होते जाएंगे।’’
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